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सरकार गुमनामी और दुर्दशा से बचाए ‘अकबर की सराय’

locationअजमेरPublished: May 11, 2019 11:08:41 pm

Submitted by:

baljeet singh

छातड़ी में है मुगलकालीन स्थापत्य कला की नायाब इमारत

Akbars inn gone misanventure and oblivion

सरकार गुमनामी और दुर्दशा से बचाए ‘अकबर की सराय’

बलजीत सिंह. अजमेर. नियमित सार-संभाल और देखभाल के अभाव में निकवर्ती ग्राम छातड़ी में स्थित ऐतिहासिक स्मारक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। हालात ये है कि पुरातत्व विभाग ने यहां स्मारक को नुकसान नहीं पहुंचाने का सूचना बोर्ड और एक कर्मचारी नियुक्त कर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली है। जबकि इस पुरा धरोहर का जीर्णोद्धार करवाया जाए तो यह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है।
गगवाना से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर छातड़ी गांव स्थित है। यहां करीब एक एकड़ क्षेत्रफल में पुरावशेष के रूप में ‘अकबर की सराय’ स्थित है। सराय के पीछे ऐतिहासिक तथ्य ये है कि 16वीं सदी में तत्कालीन मुगल शासक अकबर ने पुत्र प्राप्ति के लिए ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की जियारत कर मन्नत मांगी थी। सलीम (जहांगीर) के रूप में पुत्र प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर अकवर आगरा से पैदल चल कर अजमेर आया था। वह प्रत्येक दिन एक कोस यानी दो मील (लगभग 3 किमी) चलता था।
इस दौरान उसने आगरा से अजमेर तक की दूरी की जानकारी मिल सके इसके लिए प्रत्येक कोस पर मीनारें भी बनवाई थी जो आज भी कोस मीनारों के नाम से ऐतिहासिक इमारतों के रूप में मौजूद हैं। अपने अजमेर प्रवास के दौरान अकबर गगवाना के निकट छातड़ी गांव में ठहरा था। यहीं उसने आगरा और दिल्ली से आने वाले यात्रियों के लिए एक सराय का निर्माण करवाया था।
करीब एक एकड़ क्षेत्रफल में उस समय के हिसाब से यह एक सर्वसुविधा युक्त सरायखाना था। यह सराय मुगलकालीन स्थापत्य का एक नायाब नमूना भी है जो गुमनामी के अंधेरे में खो सा चुका है। समय के साथ यह खूबसूरत धरोहर जर्जर होकर खंडहर में तब्दील होती जा रही है। सराय के आसपास लोगों ने बड़ी संख्या में मकान भी बनवा लिए हैं।
पुरातत्व विभाग ने अकबर की सराय को अपने संरक्षण में तो ले लिया लेकिन संरक्षण के नाम पर कुछ नहीं किया। सराय के बाहर इमारत को नुकसान पहुंचाने पर कार्रवाई की चेतावनी अंकित किया हुआ केवल एक बोर्ड लगा दिया गया। फिलहाल यहां विभाग की ओर से एक कर्मचारी नियुक्त है जो सराय परिसर में लगाए गए पौधों को पानी देता है और निगरानी रखता है। लेकिन यही काफी नहीं है यदि पुरातत्व विभाग अकबर की सराय का जीर्णोद्धार करवा दे तो ये ऐतिहासिक इमारत पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो सकती है। अन्यथा समय की मार झेलते हुए यह मुगलकाली स्थापत्य कला का नमूना धीर-धीरे नष्ट हो जाएगा।
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