Big issue: दूसरे शहरों का आसरा, स्पेशल कोर्स पढऩे का नहीं विकल्प
Updated: 17 Oct 2019, 07:50:00 AM (IST)
रक्तिम तिवारी/अजमेर.
अश्विन, पार्थ, हंसिनी और शर्मिष्ठा (नाम परिवर्तित) आईआईटी, आईआईएम और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं। ये सभी अजमेर के युवा (youth of ajmer) हैं, लेकिन अपने शहर में विशिष्ट कोर्स (special course)पढऩे के विकल्प नहीं हैं। कभी शैक्षिक हब रहा अजमेर प्रदेश के दूसरे शहरों के मुकाबले पिछड़ गया है। केवल चार सरकारी, तीन निजी कॉलेज और एक विश्वविद्यालय में रूटीन के कोर्स संचालित हैं। केंद्र अथवा राज्य सरकार ने यहां कोई नामचीन संस्थान स्थापित नहीं किया है।
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दूसरे शहरों पर मेहरबानी
जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर और उदयपुर पर केंद्र और राज्य सरकार पिछले 20 साल से ज्यादा मेहरबान है। इन शहरों में ट्रिपल आईआईटी (tripple IIT), आईआईटी (IIT), आईआईएम (IIM), नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (National law university), तकनीकी, आयुर्वेद, संस्कृत, होम्योपैथी, कृषि विश्वविद्यालय खुल चुके हैं। अजमेर में 1964-65 में रीजनल कॉलेज, जेएलएन मेडिकल कॉलेज, 1987 में एमडीएस विश्वविद्यालय, 1997-98 में इंजीनियरिंग कॉलेज बड़लिया, 2007-08 में महिला इंजीनियरिंग स्थापित हुआ। अखिल भारतीय स्तर का कोई संस्थान यहां नहीं है।
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ना स्पेशल कोर्स ना ब्रांच
पॉलीटेक्कि, इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालयों और अन्य कॉलेज में कौशल विकास (skill development), जॉब ओरिएन्टेड कोर्स (job oriented course) की कमी है। सरकारी कॉलेज में हाल में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के उद्यमिता (enterprenuership) और कौशल विभाग कोर्स प्रारंभ हुए हैं, लेकिन विद्यार्थियों की दाखिलों में रुचि कम है। अजमेर में ग्रीन केमिस्ट्री, थियेयर एन्ड आर्ट, नैनो टेक्नोलॉजी, सोलर एनर्जी, कॉमर्शियल प्रेक्टिस, कम्प्यूटर एप्लीकेशन एन्ड बिजनेस मैनेजमेंट, एप्लाइड इलेक्ट्रानिक्स, इंश्योरेंस एन्ड कॉमर्स, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी, मेटेलर्जिकल इंजीनियरिंग जैसे कोर्स और ब्रांच नहीं है।
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केवल इन कोर्स का विकल्प
-कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय के पारम्परिक कोर्स
-सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर, आईटी, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, पर्यावरण विज्ञान और अन्य कोर्स
दूसरे शहरों में जाना मजबूरी
तकनीकी और उच्च शिक्षण संस्थानों में रोजगारोन्मुखी (job oriented), उद्यमिता-कौशल कोर्स, लघु अवधि के सर्टिफिकेट कोर्स (certificate course) नहीं होने से प्रतिवर्ष हजारों विद्यार्थी जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर और दूसरे राज्यों (other states) में जाना मजबूरी है। यहां 15-20 साल में कई नई ब्रांच और कोर्स और भी शुरू हुए हैं, फिर भी देश के अन्य राज्यों की तुलना में यह संख्या सीमित है। अजमेर में ही युवाओं के लिए स्पेशल कोर्स, ब्रांच में प्रवेश के विकल्प नहीं हैं।
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ये कारण हैं जिम्मेदार
-जयपुर, उदयपुर कोटा, जोधपुर का सियासी वर्चस्व-अजमेर के सियासी नेताओं की संस्थानों के लिए कम मांगयूनिवर्सिटी, इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक और अन्य कॉलेज में शिक्षकों की कमी
-इंजीनियरिंग कॉलेज बगैर एक्रिडेशन और प्रोफेसर के संचालित
-पॉलीटेक्निक कॉलेज में ब्रांचवार शिक्षक कम
-अजमेर में पानी की कमी और अन्य कारण बताना
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अजमेर ब्रिटिशकाल से शैक्षिक हब रहा है। जीसीए, मेयो कॉलेज, मिशनरी और आर्य समाज संस्थाएं देश-दुनिया में प्रख्यात हैं। पिछले 71 साल में कोई आईआईटी, आईआईटी, आईआईएम या अन्य संस्थान नहीं खुलना दुर्भाग्यपूर्ण है। अजमेर किसी दूसरे शहर से कमतर नहीं है। यहां के युवाओं में जबरदस्त टेलेन्ट है। नामचीन संस्थान नहीं होंगे तो युवाओं को दूसरे शहर जाना ही पड़ेगा। सरकार, नेताओं को इस पर विचार करना चाहिए।
डॉ. सी. बी. गैना, पूर्व प्राचार्य और पूर्व कुलपति
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