रक्तिम तिवारी/अजमेर. प्रदेश के कई इंजीनियरिंग कॉलेज (engineering college) स्थाई प्राचार्यों के बगैर संचालित हैं। स्थाई प्राचार्यों के लिए आवेदन लिए गए पर साक्षात्कार-नियुक्ति ठंडे बस्ते में है। प्राचार्य नियुक्ति के नए नियम भी बनाए गए पर गाड़ी वहीं अटकी है। रीडर ही बतौर कार्यवाहक प्राचार्य (principal)कॉलेज चला रहे हैं।
तकनीकी शिक्षा विभाग (technical education dept) ने बीते फरवरी में अजमेर के बॉयज और महिला सहित बीकानेर के दो, झालावाड़, भरतपुर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, धौलपुर, करौली और बारां इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्य पद के फार्म भरवाए थे। लेकिन शुरुआत से ही अड़चनें बढ़ती चली गई। पहले शैक्षिक योग्यता (academic quqlification) और अन्य समस्याओं के चलते तकनीकी शिक्षा विभाग और कुछ आवेदकों में टकराव हुआ। मामला कोर्ट तक जा पहुंचा। तकनीकी बाधाएं दूर हुई तब भी गाड़ी वहीं अटकी है।
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दोबारा नहीं मांगे आवेदन
तकनीकी शिक्षा विभाग ने योग्यता और नियुक्ति (appointment)संबंधित नियमों में बदलाव किया। फिर भी स्थाई प्राचार्य नियुक्ति (permanent principal) अटकी है। दोबारा आवेदन भी नहीं मांगे गए हैं। जबकि तकनीकी शिक्षा मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में प्रदेश के बांसवाड़ा, भरतपुर, अजमेर, झालावाड़, जोधपुर, बीकानेर, बारां और अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज से रिपोर्ट मांगी थी। इनमें शैक्षिक और अशैक्षिक पदों की स्थिति एक्रिडिटेशन के लिए 80 प्रतिशत पदों की स्थिति, न्यूनतम वित्तीय भार, विद्यार्थियों की फीस से होने वाली आय और अन्य बिंदु शामिल थे।
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अजमेर के दोनों कॉलेज के हाल
-इंजीनियरिंग कॉलेज बड़लिया में जून 2015 से स्थाई प्राचार्य नहीं है। बीते चार साल में डॉ. जे. पी. भामू प्रो. रंजन माहेश्वरी और डॉ. रोहित मिश्रा कार्यवाहक प्राचार्य रहे। अब इसी कॉलेज के रीडर डॉ. उमाशंकर मोदानी के पास अतिरिक्त जिम्मेदारी है।
-महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में एमएनआईटी के प्रो. अजयसिंह जेठू स्थाई प्राचार्य थे। साल 2017 में वे इस्तीफा देकर चले गए। उनके बाद प्रो. रंजन माहेश्वरी कार्यवाहक प्राचार्य रहे। बीते मार्च में तकनीकी शिक्षा विभाग ने इंजीनियरिंग कॉलेज बड़लिया के रीडर डॉ. जितेंद्र कुमार डीगवाल को महिला इंजीनियरिंग कॉलेज का कार्यवाहक प्राचार्य बनाया है।
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संस्थानों में ये होती रही हैं मनमानियां…
-चहेतों की शैक्षिक-अशैक्षिक पदों पर नियुक्तियां
-शैक्षिक और अन्य सामग्री की खरीद-फरोख्त में अनियमितताएं
-आरटीयू की परीक्षाओं में बिना जांचे कॉपी और कम नंबर भेजना
-प्राचार्यों द्वारा महंगे किराए के मकान-एसी लगाना
-टेक्यूप के बजट का दुरुपयोग और विदेशी दौरे
फैक्ट फाइल……
प्रदेश में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज-15
सरकारी कॉलेज में अध्ययनरत विद्यार्थी-20 से 22 हजार
कॉलेज का संचालक विभाग-तकनीकी शिक्षा