नोटबंदी के बाद से सभी संस्थाओं ने कैशलेस और ई-पेमेन्ट को बढ़ावा दिया है। इनमें ऑनलाइन पेमेन्ट सुविधा सबसे खास है। कुलाधिपति एवं राज्यपाल कल्याण सिंह ने सभी विश्वविद्यालयों को कैशलेस व्यवस्था की शुरुआत के आदेश दिए थे। ताकि विद्यार्थियों अथवा उनके अभिभावकों को डुप्लीकेट दस्तावेज अथवा अन्य कामकाज में सुविधा मिले। इसके बावजूद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने डिजिटल पेमेन्ट को तवज्जो नहीं दी है।
हम तो चलेंगे पुराने ढर्रे पर
विश्वविद्यालय ने महाराणा प्रताप भवन में काउन्टर बना रखा है। इसके कैश काउन्टर पर स्वाइप मशीन सुविधा नहीं है। यहां डुप्लीकेट मार्कशीट, डिग्री, प्रोविजनल सर्टिफिकेट लेने के लिए विद्यार्थियों को नकद राशि जमा करानी पड़ती है। डेबिट-क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन फीस जमा कराने का भी विकल्प नहीं है। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर किसी तरह का ऑनलाइन पेमेन्ट गेटवे नहीं है।
विश्वविद्यालय ने महाराणा प्रताप भवन में काउन्टर बना रखा है। इसके कैश काउन्टर पर स्वाइप मशीन सुविधा नहीं है। यहां डुप्लीकेट मार्कशीट, डिग्री, प्रोविजनल सर्टिफिकेट लेने के लिए विद्यार्थियों को नकद राशि जमा करानी पड़ती है। डेबिट-क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन फीस जमा कराने का भी विकल्प नहीं है। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर किसी तरह का ऑनलाइन पेमेन्ट गेटवे नहीं है।
राजभवन भी है बेखबर राजभवन को भी विश्वविद्यालय के कैशलेश सुविधा से दूर रहने की जानकारी नहीं है। हालांकि कुलपतियों से राज्यपाल समय-समय पर विद्यार्थियों से जुड़ी सुविधाओं, कैशलेस कामकाज की जानकारी मांगते हैं। इसमें वार्षिक शुल्क, सेमेस्टर और सालाना परीक्षा शुल्क, निर्माण कार्य, सांस्कृतिक, शह शैक्षिक गतिविधियों के लिए भुगतान और अन्य शामिल हैं। फिर भी विश्वविद्यालय ने स्टूडेंट्स के लिए ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है।
इन संस्थाओं ने दिया बढ़ावा
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड करीब एक वर्ष पूर्व कैश काउन्टर पर स्वाइप मशीन लगा चुका है। सीबीएसई ने भी कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा दिया है। यहां विद्यार्थियों से नकद फीस लेने के अलावा ऑनलाइन सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। दोनों बोर्ड के विद्यार्थी दसवीं या बारहवीं कक्षा के डुप्लीकेट दस्तावेज लेने के लिए डेबिट-क्रेडिट या एटीएम कार्ड से फीस जमा करा सकते हैं।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड करीब एक वर्ष पूर्व कैश काउन्टर पर स्वाइप मशीन लगा चुका है। सीबीएसई ने भी कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा दिया है। यहां विद्यार्थियों से नकद फीस लेने के अलावा ऑनलाइन सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। दोनों बोर्ड के विद्यार्थी दसवीं या बारहवीं कक्षा के डुप्लीकेट दस्तावेज लेने के लिए डेबिट-क्रेडिट या एटीएम कार्ड से फीस जमा करा सकते हैं।
ना योजना ना कोई चर्चा क्रेडिट-डेबिट कार्ड, पेटीएम-एटीएम से दस्तावेजों का शुल्क जमा कराने को लेकर विश्वविद्यालय ने कोई योजना नहीं बनाई है। कुलपति और कुलसचिव स्तर पर भी कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। दूरदराज से आने वाले विद्यार्थियों के पास नकद भुगतान के अलावा कोई विकल्प नहीं है।