
fees in engineering college
अजमेर
प्रदेश (rajasthan)के एकमात्र महिला इंजीनियरिंग कॉलेज (mahila engineering college) में छात्राएं भारी-भरकम फीस चुका रही हैं। कॉलेज को सरकारी ‘नियंत्रण ’ (govt undertaken) लेने के प्रस्ताव पर धुंध छाई हुई है। यहां तमाम सीट सेल्फ फाइनेंसिंग स्कीम की हैं।जबकि बॉयज (boys) और अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज में सरकारी सीट (Govt seat) आवंटित की गई हैं। ऐसे में छात्राओं और उनके परिजनों को नुकसान हो रहा है।
वर्ष 2007 में स्थापित इस कॉलेज में कम्प्यूटर इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एन्ड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल एन्ड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और अन्य कोर्स (courses) संचालित हैं। सभी कोर्स (courses) सेल्फ फाइनेंसिंग स्कीम (self finance scheme) में चलने से छात्राओं को लाखों रुपए फीस (fees structure) देनी पड़ती है। चार साल (four years) के इंजीनियरिंग कोर्स (technical courses) में फीस के अलावा छात्राओं (girls) केा दूसरे शहरों से आने-जाने, किताबें (books) और अन्य खर्चे हो रहे हैं। इसके चलते अभिभावक और छात्राएं खासे परेशान हैं।
कब जाएगा सरकार के अधीन...
पिछली भाजपा सरकार (BJP) ने साल 2017 में अजमेर के महिला सहित झालवाड़ और बारां इंजीनियरिंग कॉलेज को सरकारी नियंत्रण (govt under taken) में लेने का फैसला किया था। इससे बेटियों को सभी कोर्स में सरकारी फीस (govt fees) लागू होने की उम्मीद बंधी थी। दो साल बीतने के बावजूद प्रस्ताव (proposal) का अता-पता नहीं है। कॉलेज छात्राओं (college girls) को सेल्फ फाइनेंसिंग सीट पर दाखिले (admission) मिल रहे हैं। इसकी एवज में उन्हें ज्यादा फीस चुकानी पड़ रही है।
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वरना यह मिल सकते हैं फायदे (benefits)
-कॉलेज स्वायत्तशासी समिति के बजाय चलेगा सरकारी नियमों से
-सरकार के वेतन-भत्ते, कटौतियां और अन्य नियम होंगे लागू
-छात्राओं के लिए होंगी प्रत्येक इंजीनियरिंग ब्रांच में सरकारी कोटे की सीट
-सेल्फ फाइनेंसिंग स्कीम की भारी-भरकम फीस में मिलेगी रियायत
-सोसायटी के बजाय कॉलेज पर सरकार का नियंत्रण
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Published on:
18 Aug 2019 06:33 am
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