यूजीसी के नियमानुसार कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर लक्ष्मीनारायण बैरवा ने राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ में याचिका (14914/2018) दायर की थी। इसके आधार पर मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग और जस्टिस दिनेश मेहता की खंडपीठ ने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज करने पर रोक लगा दी। इसके बाद न्यायालय ने रोक 1,16, 28 नवंबर, 3 दिसंबर और 11 एवं 29 जनवरी, 21, 25 और 27 फरवरी, 6 मार्च और 27 सप्ताह तक बढ़ाई है।
तीन वर्ष के लिए हुई नियुक्ति राज्यपाल कल्याण सिंह ने बीते वर्ष 5 अक्टूबर को प्रो. आर. पी. सिंह को कुलपति नियुक्त किया था। उनकी नियुक्ति तीन वर्ष के लिए की गई है। हाईकोर्ट के कामकाज पर रोक लगाने से कुलपति के कार्यकाल के करीब पांच महीने खराब हो चुके हैं। इस लिहाज से उनके तीन वर्षीयकार्यकाल (36 महीने) में से 31 महीने ही शेष रहे हैं।
कार्यकाल में जुड़ेंगे या नहीं…
कुलपति के कार्यकाल के पांच महीने बगैर कामकाज निकल चुके हैं। इस अवधि में उन्हें वेतन-भत्ते भी नहीं मिले हैं। जबकि राजभवन वेतन को लेकर विश्वविद्यालय को पत्र भिजवा चुका है। हालांकि विश्वविद्यालय ने इस मामले में सरकार और राजभवन से ही परामर्श मांगा है। बकाया कार्यकाल में खराब हुए पांच महीने को लेकर कुलपति और उच्चाधिकारी परामर्श लेने में जुटे हैं। इस बारे में लॉ कॉलेज के रीडर डॉ. आर. एन. चौधरी ने बताया कि कुलपति या संवैधानिक पद पर बैठे कोई भी उच्चाधिकारी ऐसे मामले में अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं। अदालत एक्ट और विधिक प्रावधानों के अवलोकन के बाद ही निर्णय करती है।
कुलपति के कार्यकाल के पांच महीने बगैर कामकाज निकल चुके हैं। इस अवधि में उन्हें वेतन-भत्ते भी नहीं मिले हैं। जबकि राजभवन वेतन को लेकर विश्वविद्यालय को पत्र भिजवा चुका है। हालांकि विश्वविद्यालय ने इस मामले में सरकार और राजभवन से ही परामर्श मांगा है। बकाया कार्यकाल में खराब हुए पांच महीने को लेकर कुलपति और उच्चाधिकारी परामर्श लेने में जुटे हैं। इस बारे में लॉ कॉलेज के रीडर डॉ. आर. एन. चौधरी ने बताया कि कुलपति या संवैधानिक पद पर बैठे कोई भी उच्चाधिकारी ऐसे मामले में अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं। अदालत एक्ट और विधिक प्रावधानों के अवलोकन के बाद ही निर्णय करती है।