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Pitru Paksha 2023: भगवान राम ने पुष्कर में किया था पिता दशरथ का श्राद्ध

Pitru Paksha 2023: पूर्णिमा तिथि के पहले पितृ श्राद्ध के साथ ही पन्द्रह दिनों के कनाकत पक्ष में अपने पूर्वज पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व है।

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Lord Ram had performed Shradh of father Dasharatha in Pushkar

फाइल फोटो

महावीर भट्ट/पुष्कर। पूर्णिमा तिथि के पहले पितृ श्राद्ध के साथ ही पन्द्रह दिनों के कनाकत पक्ष में अपने पूर्वज पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। लगभग हर घर में किसी न किसी का श्राद्ध करके ब्राह्मण को भोजन कराने का सिलसिला आज से शुरू हो गया है। गया में माता पिता, का श्रा्द्ध करने का महत्व है लेकिन जगतपिता ब्रह्मा के पुष्कर तीर्थ में परिवार के सात कुल के पितरों का श्राद्ध करने का विशेष धार्मिक महत्व है।

आज से शुरू श्राद्ध
यही वजह है कि यहां पर आज से पन्द्रह दिनों तक पुष्कर सरोवर के घाटों पर श्राद्ध करने वालों का तांता लगा रहेगा। एक श्लोक के अनुसार भारत में पांच स्थानों पर ही श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। गया, गंगा, कुरूक्षेत्रे ,प्रभाषे, पुष्कररानि च, एतानि पुण्य तीर्थानी श्राद्ध काले भवन्तिका:।अर्थात देश में कुल पांच पवित्र स्थानों पर ही श्राद्ध करने का महत्व बताया गया है। इनमें गया तीर्थ, गंगा किनारे, कुरूक्षेत्र, प्रभाष- पाटण गुजरात, एवं राजस्थान में पुष्कर तीर्थ है।

पुष्कर के वराह घाट निवासी पहाड़ी पुरोहित पंडित सतीश चंद तिवाड़ी बताते है कि पूर्णिमा तिथि 29 सितम्बर से ही श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है। जो अमावस तिथि तक चलेगा। इन पन्द्रह दिनों में पुष्कर सरोवर के किनारे बने घाटों पर माता, पिता, दादा- दादी सहित सात कुलों के पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व है।

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पितरों का श्राद्ध करने तर्पण करने से पितृ दोष शांत होता है घर में विवाह सहित रूके मांगलिक कार्य सम्पन्न होते हैं। संतान प्राप्ति की बाधा हटती है। मनोकामना पूरी होती है। एक जानकारी के अनुसार भगवान राम ने बनवास के दौरान आकाशवाणी होने पर अपने पिता का बालू मिट्टी से पिंड बनाकर पुष्कर क्षेत्र में ही पिता दशरथ का श्राद्ध किया था।

घाटों पर होंगे श्राद्ध
पन्द्रह दिनों की कनाकत पक्ष अर्थात श्राद्ध पक्ष में पुष्कर सरोवर के बावन घाटों पर श्राद्ध करने वालों का तांता लगा रहेगा। कोई जौ के आटे से तो कोई चावल से बने पिंड बनाकर अपने पितरों का पिण्डदान करेगा। श्राद्ध करने के बाद पुरोहितों का वस्त्रदान भोजन, दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया जाता है।