वन विभाग प्रतिवर्ष बरसात के दौरान जिले में फलदार, छायादार और पुष्पीय पौधे लगाता है। यह कार्य स्वयं सेवी संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों, स्काउट-गाइड, सरकारी महकमों, शैक्षिक संस्थाओं के जरिए होता है। इस बार भी विभाग ने विभिन्न पौधशाला में कई प्रजातियों के पौधे तैयार कराए। साथ ही जुलाई से पौधरोपण कार्य शुरू कर दिया। लेकिन इस बार अगस्त के दूसरे पखवाड़े में ही मानसून सुस्त पड़ गया है। सितम्बर के पहले सप्ताह तक जिले में सिर्फ 265 मिलीमीटर बरसात हुई है। जबकि जिले की औसत बरसात 550 मिलीमीटर है।
कैसे जिंदा रहेंगे पौधे विभाग ने अच्छी बरसात की आस में जिले के ब्यावर, पुष्कर, खरवा, सरवाड़, केकड़ी, नसीराबाद, किशनगढ़, अजमेर और अन्य इलाकों में पौधरोपण करा दिया। पहले जून के दूसरे पखवाड़े में मानसून की सक्रियता के दावे किए गए थे। लेकिन बरसात जुलाई में शुरू हुई। साथ ही अब मानसून की विदाई का वक्त आ गया है। कम बरसात के चलते वन विभाग की परेशानी बढ़ी हुई है। मालूम हो कि साल 2015 में कम बरसात के चलते विभाग को ढाई हजार के बजाय 1 हजार हेक्टेयर इलाके में ही पौधरोपण कराना पड़ा था।
यह लगाए हैं पौधे छायादार-करंज, शीशम, अमलताश, नीम, बड़, सेमल, कचरना, गुलमोहर, अशोक, शीशम, गुलरपुष्पीय पौधे-गुलाब, चांदनी, चमेली, गुड़हल, नाग चम्पा, कनेर, बोगनवेलिया, रात रानी, क्रोटन, रेलियाफलदार-अमरूद, जामुन, सीताफल, अनार, इमली, गौंदा, फालसा, पपीता
लाखों पौधे हो चुके नष्ट वन विभाग और सरकार बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 30 से 40 लाख पौधे लगाए गए। पानी की कमी और सार-संभाल के अभाव में करीब 20 लाख पौधे तो सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।
बीते छह साल में औसत बरसात(1 जून से 30 सितम्बर) 2012-520.2
2013-540
2014-545.8
2015-381.44
2016-512.07
2017-450 जिले में अब तक पर्याप्त बरसात नहीं हुई है। पौधों के लिए पानी का बंदोबस्त और अन्य मामलों के लिए मुख्यालय ही अधिकृत है।
2013-540
2014-545.8
2015-381.44
2016-512.07
2017-450 जिले में अब तक पर्याप्त बरसात नहीं हुई है। पौधों के लिए पानी का बंदोबस्त और अन्य मामलों के लिए मुख्यालय ही अधिकृत है।
किशोर गुप्ता, सहायक वन संरक्षक वन विभाग