
MAKAR SANKRANTI : यह कैसा दान, सड़क के किनारे बिछ गया हरा चारा
दिनेश कुमार शर्मा
अजमेर.
शहर में मंगलवार को मकर संक्रान्ति पर्व परम्परागत तरीके से मनाया गया। पर्व के मौके पर लोगों में पुण्य कमाने की होड़ मची रही। शहरवासियों ने गायों को जमकर चारा खिलाया। चारा व्यवसायियों और कई किसानों ने सोमवार रात ही सड़क किनारे चारे के ढेर लगा लिए।
जिन पर मंगलवार अलसुबह से ही बिक्री शुरू हो गई। लोगों ने पर्व के मौके पर पुण्य कमाने के लिए सड़कों एवं गली-मोहल्लों में लावारिस घूमती गायों को चारा खिलाया।
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अधिक मात्रा में हरा चारा गायों के सामने डाल दिए जाने से हालात यह हो गए कि सड़कों के किनारे चारे की दुर्दशा होती रही और यह गायों के पैरों के नीचे और वाहनों से कुचलता रहा।
इन स्थानों पर लगे रहे ढेर
जयपुर रोड, मदस विश्वविद्यालय मार्ग, वैशाली नगर बधिर विद्यालय के पास, श्रमजीवी कॉलेज के पास, नगरा, धोलाभाटा, राजासाइकिल चौराहा, शास्त्री नगर, आनासागर लिंक रोड, शिवकुंड के पास, हाथी भाटा, पीआर मार्ग समेत अन्य स्थानों पर सड़क किनारे चारे के ढेर लगे रहे।
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क्यों खिलाते हैं चारा
मकर संक्रान्ति पर दान-पुण्य की परम्परा रही है। ऐसे में लोग गायों को चारा खिलाकर पुण्य के भागी बनना चाहते हैं। सड़क किनारे, गली-मोहल्लों में घूमती गायों को चारा खिलाकर लोग गोसेवा का लाभ उठाना चाहते हैं।
लोगों को किया जागरूक
मकर संक्रान्ति पर्व के मौके पर लोहागल और पुष्कर रोड स्थित गौशाला के बाहर काउंटर लगाकर लोगों को चारा सड़क किनारे नहीं डालने और गौशाला में गायों के लिए पहुंचाने के लिए जागरूक किया गया। कई लोगों ने गौशाला पहुंचकर गायों के लिए दान भी किया।
लक्ष्मीनारायण हटूका, सचिव, श्री पुष्कर गोआदि पशुशाला
क्षमता से अधिक चारा खाने से मवेशी के आफरा होने की आशंका बन जाती है। इसमें मवेशी का पेट फूलता है और फेफड़ों पर नकारात्मक असर पड़ता है। हालत बिगडऩे पर मवेशी की जान भी जा सकती है।
डॉ. अजय अरोड़ा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग
दान का बदलें स्वरूप
सड़कों और गली-मोहल्लों में चारा नहीं डालें
गौशालाओं में करें गायों के लिए दान
एक ही दिन दान की बजाय इसे आदत बनाएं
घर में गौग्रास की प्रथा को पुनर्जीवित करें
गौशाला में गाय गोद लेकर भी गौसेवा की जा सकती है।
ऐसा भी होता है...
शहर में कई स्थानों पर आम दिनों में भी सड़क किनारे गायों के लिए चारे का ढेर लगा देखा जा सकता है। इसमें खास बात यह है कि यहां 10 से 20 की संख्या में गायों को चारा खिलाया जा रहा होता है और ये सभी गाय लावारिस नहीं होकर पशुपालकों की होती हैं।
खुद पशुपालक गायों को सड़क किनारे खाली स्थान पर छोड़कर चारा बेचते हैं। ऐसे में जहां पशुपालक को चारे की बिक्री के जरिए आमदनी हो जाती है, वहीं गायों का पेट भर जाता है। दूसरी ओर लोग इन्हें चारा खिलाकर पुण्य के भागी बन जाते हैं।
50 से अधिक टैम्पो चारा
एक अनुमान के अनुसार शहर में मंगलवार को मकर संक्रान्ति पर्व पर 50 लोडिंग टैम्पो के जरिए चारा बिक्री के लिए लाया गया। इसकी अलग-अलग करीब 25 स्थानों पर रखकर बिक्री की गई।
हालांकि इस बार मंगलवार एवं बुधवार दो दिन मकर संक्रान्ति मनाए जाने के कारण कई स्थानों पर मंगलवार को चारा बच गया और विक्रेता मायूस दिखे।
वैशाली नगर में चारा बेच रहे दौराई निवासी एक जने ने बताया कि 2 टैम्पो चारा बिक्री के लिए लाया गया था, लेकिन मंगलवार को कम लोगों की ओर से ही पर्व मनाए जाने से काफी मात्रा में चारा बच गया।
Published on:
14 Jan 2020 09:04 pm
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