वनों की स्थिति पर पिछले साल सरकार ने द्वि-वार्षिक रिपोर्ट-2017 जारी की थी। जहां देश में 2015 में कुल वन क्षेत्र 7.01 लाख वर्ग किलोमीटर था। वहीं यह 2017 में बढकऱ 7.08 वर्ग किलोमीटर हो गया। रिपोर्ट के अनुसार अजमेर जिले में भी 13 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढऩा बताया गया। इसमें 7 वर्ग किलोमीटर मध्य घनत्व और 6 वर्ग किलोमीटर खुला वन क्षेत्र शामिल है।
पौधरोपण और जागरुकता बढ़ी
वन विभाग ने पिछले दो-तीन साल में अजमेर जिले में सघन पौधरोपण और जागरुकता अभियान चलाया। मानसून सहित अन्य मौसम में स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों, गैर सरकारी संगठनों, सरकारी दफ्तरों के अधिकारियों, कर्मचारियों ने पौधे लगाए। इनमें बाहरी वन क्षेत्र और शहर का अंदरूनी इलाका शामिल है। राजस्थान पत्रिका ने भी हरयालो राजस्थान कार्यक्रम चलाकर इसमें सहयोग दिया। नीम, गुड़हल, बोगन वेलिया, अशोक, करंज और अन्य प्रजातियों के पौधे लगाए गए।
वन विभाग ने पिछले दो-तीन साल में अजमेर जिले में सघन पौधरोपण और जागरुकता अभियान चलाया। मानसून सहित अन्य मौसम में स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों, गैर सरकारी संगठनों, सरकारी दफ्तरों के अधिकारियों, कर्मचारियों ने पौधे लगाए। इनमें बाहरी वन क्षेत्र और शहर का अंदरूनी इलाका शामिल है। राजस्थान पत्रिका ने भी हरयालो राजस्थान कार्यक्रम चलाकर इसमें सहयोग दिया। नीम, गुड़हल, बोगन वेलिया, अशोक, करंज और अन्य प्रजातियों के पौधे लगाए गए।
नहीं चलते 50 प्रतिशत पौधे
पर्याप्त बरसात और तेज गर्मी से 40 से 50 प्रतिशत पौधे पानी के अभाव में दम तोड़ देते हैं। गर्मी में पौधों को बचाए रखना विभाग के लिए चुनौती होता है। मालूम हो कि वर्ष 2015 में तो विभाग को कम बरसात के चलते पौधरोपण रोकना पड़ा था।वरना हरा-भरा होता अजमेरवन विभाग और सरकार बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 30 से 40 लाख पौधे लगाए गए। पानी की कमी और सार-संभाल के अभाव में करीब 20 लाख पौधे तो सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।
पर्याप्त बरसात और तेज गर्मी से 40 से 50 प्रतिशत पौधे पानी के अभाव में दम तोड़ देते हैं। गर्मी में पौधों को बचाए रखना विभाग के लिए चुनौती होता है। मालूम हो कि वर्ष 2015 में तो विभाग को कम बरसात के चलते पौधरोपण रोकना पड़ा था।वरना हरा-भरा होता अजमेरवन विभाग और सरकार बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 30 से 40 लाख पौधे लगाए गए। पानी की कमी और सार-संभाल के अभाव में करीब 20 लाख पौधे तो सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।