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मिलेंगे टॉपर्स को मेडल, अक्टूबर में हो सकता है दीक्षान्त समारोह

locationअजमेरPublished: Sep 13, 2018 04:34:59 am

Submitted by:

raktim tiwari

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mds university convocation

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अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का नवां दीक्षान्त समारेाह अक्टूबर में हो सकता है। इसके लिए राजभवन को पत्र भेजा गया है। वहां से मंजूरी मिलते ही तिथि की घोषणा होगी।

विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष 1 अगस्त को दीक्षान्त समारोह कराता है। इस बार बीती 21 जुलाई को तत्कालीन कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली का निधन होने से राज्यपाल कल्याण सिंह ने दीक्षान्त समारोह स्थगित कर दिया था। जबकि विश्वविद्यालय की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थी। अब कार्यवाहक कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने अक्टूबर में दीक्षान्त समारोह कराने का फैसला किया है।
फिर छपेंगे निमंत्रण पत्र

विश्वविद्यालय को नए सिरे से निमंत्रण पत्र छपवाने होंगे। पूर्व में प्रशासन ने 800 निमंत्रण पत्र छपवाए थे। लेकिन समारोह स्थगित होने से इनका इस्तेमाल नहीं हो सकता है। समारोह कुलाधिपति एवं राज्यपाल कल्याण सिंह, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी सहित अन्य अतिथि शामिल होंगे। राजभवन से समारोह की मंजूरी मिलते ही विश्वविद्यालय कार्ड छपवाएगा।
दिखेगी भारतीय परम्परा की झलक

दीक्षान्त समारोह में भारतीय परम्परा की झलक नजर आएगी। छात्रों को परम्परानुसार सफेद कुर्ता-पायजामा और छात्राओं को लाल किनारे वाली सफेद साड़ी पहननी जरूरी होगी। समारोह के लिए विश्वविद्यालय के एकेडेमिक पार्क में विशेष पांडाल बनाया जाएगा। बरसात को देखते हुए विशेष इंतजाम किए जाएंगे।
अब तक हुए दीक्षान्त समारोह

1997-98-पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

1998-99-नानाजी देशमुख

2001-02-जस्टिस लक्ष्मणनन

2004-पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील (तब राज्यपाल) एवं मुरली मनोहर जोशी

2009-पूर्व विदेश मंत्री कर्ण सिंह एवं राज्ययाल एस. के. सिंह
2015-राज्यपाल कल्याण सिंह

2016-राज्यपाल कल्याण सिंह

2017-राज्यपाल कल्याण सिंह और कैलाश सत्यार्थी (नोबल पुरस्कार विजेता)

घर-घर विराजे गणपति, धूम-धाम से हुआ पूजन

गणेश चतुर्थी पर प्रथम पूज्य और रिद्धी-सिद्धी के दाता भगवान गणेश का धूमाधम से पूजन हुआ। मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान से घरों और गलियों-मोहल्लों, सार्वजनिक स्थानों पर गणपति प्रतिमाओं की स्थापना हुई। लोगों ने मंदिरों में पार्वती नंदन को लड्डू-मोदक का भोग लगाकर पूजा अर्चना की। इसके साथ दस दिवसीय गणेश महोत्सव की शुरुआत हो गई।
गणेश चतुर्थी पर सुबह से शुभ मुर्हूत में घरों और मंदिरों में गणेश पूजन प्रारंभ हुआ। लोगों ने प्रथम पूज्य का फूल माला से श्रंगार कर, हरी दूब, बूंदी और बेसन के मोदक, श्रीफल, अगरबत्ती, मीठा पान, और अन्य सामग्री अर्पित कर पूजन किया। आगरा गेट स्थित प्राचीन गणेश मंदिर में तडक़े से श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी। सुबह 4 बजे मंगला आरती, 5 बजे नित्य आरती हुई। इसके बाद पुरोहितों ने गणपति अथर्वशीष से गणेश पूजन किया गया। लोगों ने लड्डू, फूल-माला चढ़ाकर मंगल कामना की।
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