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MDSU AJMER: यह हैं वो कमियां जो नहीं लेने देतीं ये खास अवार्ड

ना क्वालिटी का रिसर्च और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से कोई तालमेल है। इनमें सुधार करने पर ही यूनिवर्सिटी यह अवार्ड ले सकती है।

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Chancellor award for universities

Chancellor award for universities

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (MDSU AJMER) की कई कमियां उसे चांसलर अवार्ड नहीं लेने दे रही। ना कैंपस में पर्याप्त टीचर्स हैं, ना क्वालिटी का रिसर्च और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से कोई तालमेल है। इनमें सुधार करने पर ही यूनिवर्सिटी यह अवार्ड ले सकती है। लेकिन व्यवस्थाओं को ट्रेक पर लाना इतना आसान नहीं है।

राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र (KALRAJ MISHRA)ने गवर्नेंस, वित्तीय स्थिति, शिक्षा, शोध, विद्यार्थियों की विकास योजनाओं-संसाधनों, सह शैक्षिक गतिविधियों सहित अन्य बिंदुओं के आधार पर चांसलर अवार्ड देने की घोषणा की है। इससे विश्वविद्यालयों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और उच्च शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। युवाओं को लाभ मिलने के साथ-साथ विश्वविद्यालयों का बेहतर तरीके से विकास होगा।

यह हैं अवार्ड के मानक

-कॉलेजों को ऑनलाइन सम्बद्धता
-राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शोध

-ऑनलाइन/ऑफलाइन परीक्षाएं और परिणाम
-कैंपस प्लेसमेंट में विद्यार्थियों का चयन

-राज्य-राष्ट्रीय प्रोजेक्ट और योजनाओं में भागीदारी
-कौशल/रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम

-कैंपस में विद्यार्थियों और शिक्षकों की संख्या

विश्वविद्यालय में कमियां...

-कैंपस पाठ्यक्रमों में मात्र 16 शिक्षक कार्यरत
-आईआईटी/आईआईएम/एनआईटी से नहीं कोई एमओयू

-कैंपस में नहीं होते नियमित प्लेसमेंट फेयर
-राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय योजनाओं पर नहीं शोध

-एक भी ऑनलाइन परीक्षाओं का आयोजन नहीं
-सिलेबस नहीं बनते मार्केट डिमांड के अनुरूप

-हो चुके हैं विवि में दो बार रिश्वतकांड

READ MORE: पेड़ों के लिए प्रसिद्ध पदमपुरा गांव, एमडीएस विवि लेगा गोद

अजमेर. नीम के पेड़ों और मोरों संरक्षण में अव्वल पदमपुरा गांव को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय गोद लेगा। जिला प्रशासन और पंचायत के सहयोग से गांव में विकास कार्य कराए जाएंगे। विवि जल्द राजभवन को इसका प्रस्ताव बनाकर भेजेगा। विवि ने साल 2018 में नरवर गांव को गोद लिया था। तीन साल में विवि ने स्कूल और अन्य भवनों का रंग-रोगन, 5 हजार लीटर की पानी की टंकी रखवाने के अलावा पौधरोपण कराया है। तीन साल की अवधि बीतने के बाद नियमानुसार विवि को नया गांव गोद लेना जरूरी है।


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