
maharishi dayanand chair
रक्तिम तिवारी/अजमेर.
वेदों को ओर लौटने का संदेश देने वाले ऋषि दयानंद (maharishi dayanad) को उन्हीं के नाम का विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) को तवज्जो नहीं दे रहा। यूजीसी (UGC) द्वारा स्वीकृत ऋषि दयानंद चेयर एक साल से ताले में कैद है। ना इसमें स्टाफ की नियुक्ति हुई ना बजट का कोई उपयोग हो रहा है।
पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह (satyapal singh) ने वर्ष 2017 में ऋषि मेले के दौरान वैदिक पार्क सहित महर्षि दयानंद सरस्वती चेयर (chair) स्थापित करने की घोषणा की थी। लेकिन यूजीसी ने महर्षि दयानंद सरस्ती विश्वविद्यालय में कार्यवाहक कुलपति (vice chancellor) और अन्य कारणों से इसे स्वीकृति नहीं दी। विश्वविद्यालय सहित पत्रिका ने यूजीसी को इस मुद्दे से अवगत कराया, तब बीते वर्ष अक्टूबर में चेयर को मंजूरी मिली।
read more: गांधी के नाम पर राज करना चाहता है विपक्ष
कब शुरु होगा काम
ऋषि दयानंद चेयर (dayanand chair) पांच साल के लिए मिली है। इसे अधिकतम 2 साल के लिए बढ़ाया जा सकेगा। विश्वविद्यालय को चेयर के लिए प्55 से 70 साल तक के ख्यातनाम विद्वान (वैदिक अध्ययन के ज्ञाता) को पांच साल के लिए नियुक्ति देनी है। प्रोफेसर (professor) का चयन बाकायदा विज्ञापन के जरिए रिक्ति आमंत्रित, कुलपति (vice chancellor) द्वारा तीन सदस्यीय चयन समिति के गठन के आधार पर करनी है। दुर्भाग्य से प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हुई है। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज पर 11 महीने तक लगी रोक के कारण चेयर के ताले (chair in lock) भी नहीं खुले हैं।
यूजीसी यूं देगा सहायता
-किताबों-जर्नल्स के लिए 1.50 लाख रुपए (पांच साल के लिए) 30 हजार रुपए (अतिरिक्त दो वर्ष के लिए)
-यात्रा भत्ता (स्थानीय-राष्ट्रीय)-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष
-सचिवालय सहायता-1.50 लाख रुपए प्रतिवर्ष
-कार्यशाला, सेमिनार, ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम और अन्य कार्य-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष
-फील्ड वर्क, डाटा संग्रहण और अन्य कार्य-1.20 लाख रुपए प्रतिवर्ष
read more: पैरोल पर गया कैदी जेल लौटने की बजाय फरार
Published on:
07 Oct 2019 07:22 am
बड़ी खबरें
View Allअजमेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
