ऋषि दयानंद चेयर (dayanand chair) पांच साल के लिए मिली है। इसे अधिकतम 2 साल के लिए बढ़ाया जा सकेगा। विश्वविद्यालय को चेयर के लिए प्55 से 70 साल तक के ख्यातनाम विद्वान (वैदिक अध्ययन के ज्ञाता) को पांच साल के लिए नियुक्ति देनी है। प्रोफेसर (professor) का चयन बाकायदा विज्ञापन के जरिए रिक्ति आमंत्रित, कुलपति (vice chancellor) द्वारा तीन सदस्यीय चयन समिति के गठन के आधार पर करनी है। दुर्भाग्य से प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हुई है। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज पर 11 महीने तक लगी रोक के कारण चेयर के ताले (chair in lock) भी नहीं खुले हैं।
-किताबों-जर्नल्स के लिए 1.50 लाख रुपए (पांच साल के लिए) 30 हजार रुपए (अतिरिक्त दो वर्ष के लिए)
-यात्रा भत्ता (स्थानीय-राष्ट्रीय)-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष
-सचिवालय सहायता-1.50 लाख रुपए प्रतिवर्ष
-कार्यशाला, सेमिनार, ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम और अन्य कार्य-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष
-फील्ड वर्क, डाटा संग्रहण और अन्य कार्य-1.20 लाख रुपए प्रतिवर्ष