
mds university building
अजमेर.
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) को केवल ‘खजाना ’ भरने से मतलब है। दो साल से ताले में बंद मंगलम भवन के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से एमओयू हो चुका है। लेकिन विश्वविद्यालय ने बैंक को पानी ( Drinking Water) और बिजली कनेक्शन (Electric) लेने और शिफ्टिंग करने को कहा है। उधर बैंक ने भी सुविधाएं मुहैया कराए बिना भवन में जाने से इंकार कर दिया है।
विश्वविद्यालय ने बहुउद्देशीय और अत्याधुनिक सुविधाओं (modern facilities) युक्त मंगलम भवन (Manglam bhawan) बनवाया है। यहां भारतीय स्टेट बैंक (तब एसबीबीजे), फोटो और फैक्स सुविधा (fax), इंटरनेट (internet), पोस्ट ऑफिस (post office), छोटा केफेटेरिया (cafeteria) और विद्यार्थियों के रुकने के लिए प्रतीक्षालय (waiting room) बनाया गया। ताकि एक ही छत के नीचे उनका सारा कामकाज हो जाए। आधुनिक तकनीकी (modern technique) वाले भवन का 1 अगस्त को 2017 को राज्यपाल कल्याण सिंह (kalyan singh) ने उद्घाटन किया।
भवन पर दो साल से ताला
भवन में भारतीय स्टेट बैंक (state bank of india) की शाखा को स्थानांतरित करना है। दो साल तक विश्वविद्यालय-बैंक के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी। बीते जून में दोनों के बीच एमओयू हुआ। लेकिन ढाई महीने बाद भी भवन ताले में बंद (building in lock) हैं। बैंक शाखा यथावत चाणक्य भवन के पिछवाड़े संचालित है। इसी तरह पोस्ट ऑफिस मोटर गैराज में संचालित है।
खुद करें पानी-बिजली का इंतजाम
विश्वविद्यालय ने भवन में बिजली और पानी के कनेक्शन (connection) के लिए साफ इंकार कर दिया है। उसने बैंक प्रबंधन को अपने स्तर पर पृथक ट्रांसफार्मर (transfarmer) लगाने, पानी का बंदोबस्त करने को कहा है। इसके चलते बैंक प्रबंधन ने भी भवन में शिफ्टिंग (shifting of bank) नहीं की है। पूर्व में विश्वविद्यालय ने एसबीबीजे (SBBJ) को नियमों-शर्तों के तहत भवन किराए पर दिया था। अब उस बैंक का एसबीआई में विलय हो चुका है। ऐसे में दोनों संस्थाओं के बीच नए सेवा-शर्तों को लेकर भी तालमेल नहीं बैठ पाया है।
निजी बैंक को लाने की तैयारी!
अधिकृत सूत्रों के अनुसार मंगलम भवन को लेकर अंदरूनी खिचड़ी पक रही है। प्रशासन यहां निजी बैंक (private bank)को लाने की तैयारी में है। इसके लिए मौखिक बातचीत भी जारी है। जबकि विश्वविद्यालय के नियमानुसार परिसर में केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को ही भवन दिया जा सकता है। यह नियम प्रबंध मंडल (board of managment) में पारित हो चुका है। मालूम हो कि पिछले साल पूर्व कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी नाराज हो गए थे। उन्होंने किसी दूसरी राष्ट्रीयकृत बैंक (nationlized bank) अथवा संस्था को भवन आवंटित करने की योजना बना ली थी।
Published on:
07 Sept 2019 08:15 am
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