अजमेर के जय अम्बे सेवा समिति के माध्यम से संचालित अपना घर वृद्धाश्रम में 72 वर्षीय विमला सोलंकी (बीकानेर निवासी) पिछले एक वर्ष से आश्रय लिए हुए हैं। पति की पांच वर्ष और पुत्र की 3 वर्ष पूर्व मृत्यु के बाद विमला ने ठान लिया कि अब उसे अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीना है। जिन्दगी का शेष समय अब सेवा करते-करते ही काटना है। परिवार में दो बेटियां हैं, दोनों का विवाह होने के बाद वह घर में अकेली थीं। करीब एक वर्ष पूर्व इसी वृद्धाश्रम में मेड़ता के कथावाचक रामनिवास जी की भागवत कथा में विमला भी पहुंची। कथा समाप्ति के बाद विमला ने वृद्धाश्रम में रहने की इच्छा जताई और तभी से उसने अपना घर बना लिया। विमला साथ में रहने वाली अन्य दस से अधिक वृद्ध माताओं की सेवा में भी पीछे नहीं रहती है। वैसे तो भोजन बनाने के लिए कुक हैं मगर दिन में जब भी वृद्ध माताओं की इच्छा होने पर उन्हें पोहे बनाकर, नाश्ता बनाकर खिलाती हैं, कभी चाय बना कर उन्हेें पिलाती हैं। आश्रम में 85 व 90 वर्षीय वृद्धाओं के पैर दबाने के साथ ही उनकी मदद भी करती हैं।
इलाज के लिए अनाथ वृद्ध माताओं को ले जाती हैं अस्पताल विमला बताती हैं कि अगर वृद्धाश्रम में कोई वृद्धा बीमार हैं, उनकी जांच करवानी हैं तो अस्पताल ले जाती हैं। वृद्धाश्रम में भी बीमार माताओं को दवा देती हैं। बिस्तर पर उन्हें अपने हाथ से पानी पिलाती हैं।