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अजमेर में कांगो (Congo) फीवर से निपटने के नहीं इंतजाम

-सेम्पल की जांच के लिए पूना पर निर्भर -जांच में देरी ले सकती है मरीज की जान

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अजमेर (Ajmer). कांगो (Congo)हैमरेजिक फीवर के पॉजीटिव केस जोधपुर (Jodhpur)में चिह्नित होने के बाद अजमेर में भी इस वायरस के सक्रिय होने की आशंका बढ़ गई है। कांगो वायरस पाकिस्तान (Pakisthan)के बाद जोधपुर में पॉजीटिव चिह्नित होने एवं पॉजीटिव केस आने के बाद अजमेर (Ajmer) में भी इसका खतरा बढ़ गया है। धार्मिक नगरी अजमेर में देश ही नहीं विदेशों से भी लोगों के पहुंचने से कांगो हैमरेजिक फीवर का वायरस को लेकर आशंकित हैं। प्रदेशभर में सेम्पल जांच की व्यवस्था नहीं है। जोधपुर में कांगो हैमरेजिक फीवर के पॉजीटिव केस आने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से अलर्ट तो कर दिया गया मगर इतने वर्षों के बाद भी सरकार सेम्पल जांच की सुविधा प्रदेश में उपलब्ध नहीं करवा पाया। कांगो हैमरेजिक फीवर के लिए मरीज के खून का सेम्पल भी पूना भेजा जाता है। पूना स्थित लैब में इसकी जांच होकर रिपोर्ट आती है तब तक मरीज की जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है।

क्या है कांगो (Congo)

एक विषाणु जनित रोग है। यह विषाणु (वायरस) पूर्वी एवं पश्चिमी अफ्र ीका में बहुत पाया जाता है। यह वायरस सबसे पहले क्रीमिया फिर कांगो में रोग दिखा। तभी इसका नाम सीसीएचएफ पड़ा। वर्ष 2001 में पाकिस्तान, दक्षिण अफ्र ीका एवं ईरान में भी इसका प्रकोप बढ़ा।

ऐेसे फैलता है रोग

यह वायरस सबसे पहले जानवरों को चपेट में लेता है। जानवरों में ये बीमारी टिक्स या पिस्सू से फैलती है। इनके संपर्क में आने से यह लोगों में फैलता है। इस वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति की मौत की आशंका काफ ी अधिक होती है। एक बार चपेट में आने पर यह वायरस 3 से 9 दिन में पूरे शरीर में फैल जाता है।

पशुओं के साथ रहने वालों को खतरा

पशुओं की चमड़ी से चिपके रहने वाला हिमोरल नामक परजीवी रोग का वाहक है। इसलिए इसकी चपेट में आने का खतरा उन लोगों को ज्यादा है जो गाय, भैंस, बकरी, भेड़ एवं कुत्ता आदि के संपर्क में रहते हैं। मौत शरीर से खून का तेज रिसाव और शरीर के विभिन्न अंगों का एक साथ फेल होने की वजह से होती है।

ये है इस बीमारी के लक्षण

सबसे पहले बुखार, मांसपेशियों व सिर में दर्द, चक्कर आना, आंखों में जलन, रोशनी से डर लगना, पीठ में दर्द और उल्टी लगने जैसी दिक्कतें सामने आती हैं। रोगी का गला पूरी तरह बैठ जाता है। मुंह व नाक से खून आना शुरू होता है, कई अंग भी फेल हो सकते हैं।

बचाव के उपाय

नमी वाले स्थानों/खेतों में नंगे पांव नहीं जाएं, मिट्टी में नंगे पांव काम नहीं करें,घरों के आस पास झाडिय़ों की कटाई करें, मवेशियों की देखभाल करते समय जूते पहने रहें, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें। किसी तरह के लक्षण पाए जाने पर शीघर चिकित्सक से संपर्क करें।

इनका कहना है

कांगो को लेकर पूर्व में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए चिकित्सकों की जानकारी दी गई है। जिले में इसके लिए अलर्ट कर दिया गया है। किसी मरीज में लक्षण पाए जाने पर जेएलएन मेडिकल कॉलेज के माध्यम से सेम्पल पूना भेजे जा सकते हैं। यहां सेम्पल जांच की व्यवस्था नहीं है।

डॉ.के.के. सोनी, सीएमएचओ


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