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डाटा कलेक्शन ना लैब की सुविधा

locationअजमेरPublished: Apr 17, 2020 07:13:29 pm

Submitted by:

mukesh gour

रिसर्च पर कोरोना संकट : शोधार्थियों की बढ़ रही परेशानियां

डाटा कलेक्शन ना लैब की सुविधा

डाटा कलेक्शन ना लैब की सुविधा

अजमेर. कोरोना लॉकडाउन से नियमित कक्षाओं के साथ शोध (रिसर्च) पर असर पड़ रहा है। शोधार्थी डाटा कलेक्शन के लिए ना क्षेत्रों का दौरा ना रिसर्च लैब में कामकाज कर पा रहे हैं। रिसर्च जर्नल में पेपर प्रकाशन भी प्रभावित है। देश के इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट और उच्च शिक्षण संस्थानों में हजारों शोधार्थी पंजीकृत हैं। यह विश्वविद्यालयों-कॉलेज के प्रोफेसर, रीडर के अधीन शोधरत हैं।
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डाटा संग्रहण सबसे अहम
विज्ञान, कला, वाणिज्य और अन्य संकायों के कई शोधकार्यों में भौगोलिक क्षेत्र (गांव-शहर) का दौरा कर डाटा संग्रहण सबसे अहम माना जाता है। लॉकडाउन के कारण शोधार्थी २२ दिन से घरों में कैद हैं। उनका डाटा संग्रहण का काम अटका है।
अटके लैब से जुड़े कामकाज
इंजीनियरिंग, विज्ञान, भूगोल और अन्य संकाय के शोधार्थियों के लिए लैब में प्रयोग अहम होते हैं। शोधार्थी लॉकडाउन में शिक्षण संस्थान और लैब बंद हैं। शोधार्थियों को लैब से जुड़े कामकाज टालने पड़े हैं। जूलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. सुभाष चंद्र ने बताया कि लैब-फील्ड वर्क अटके हैं, लेकिन शोधार्थी दूसरे काम कर सकते हैं। इनमें रिसर्च पेपर तैयार करना, गाइड से चर्चा कर टॉपिक्स को दोबारा लिखना और, थीसिस तैयार करना शामिल है।
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यूजीसी ने दी है यह सुविधा
यूजीसी ने विद्यार्थियों-शोधार्थियों को ऑनलाइन शिक्षण सुविधा दी है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के डॉ. अश्विनी तिवारी ने बताया कि ३० जून तक ई-जर्नल, ई-बुक्स, सभी शिक्षकों, विद्यार्थियों-शोधार्थियों के लिए उपलब्ध रहेंगी। सभी विवि को लिंक दिए गए हैं। इसमें देश-विदेश के प्रमुख जर्नल, ई-बुक्स और शोध संबंधित सामग्री का उपयोग किया जा सकेगा।
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फैक्ट फाइल…
राज्य स्तरीय विवि : 800
केंद्रीय विवि : 47
कॉलेज : 50-55000
(उच्च, तकनीकी, मेडिकल और अन्य)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान : 23
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान : 31
भारतीय प्रबंधन संस्थान : 20
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी : 23
कुल विद्यार्थी : 36.7 करोड़
लैब का इस्तेमाल और फील्ड विजिट अभी संभव नहीं है। शोधार्थियों को ऐसे टॉपिक दिए जा रहे हैं, ताकि वे यूजीसी के जर्नल से मदद लेकर कामकाज कर सकें।
प्रो. प्रवीण माथुर, विभागाध्यक्ष और गाइड पर्यावरण अध्ययन विभाग
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