उपभोक्ताओं को सुचारू विद्युत आपूर्ति प्राथमिकता : एमडी
इसके साथ ही इस जमीन के पास बने बाड़ों को भी खरीद लिया। कुछ समय बाद उक्त जमीन पर आवासीय कॉलोनी बना कर नगर पालिका से एनओसी (noc) प्राप्त कर ली। बाद में इन्होंने कूटरचित दस्तावेजों की सहायता से मुख्य मार्ग स्थित पालिका की भूमि को एनओसी शुदा जमीन का हिस्सा बता कर सरकारी भूमि का भी पट्टा जारी करवा लिया। पुलिस ने अलग-अलग रिपोर्ट पर दो मुकदमे दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।जमीन विवाद में दो पक्षों में फायरिंग………..
खांचा भूमि खरीद में भी गड़बड़झाला पुलिस के अनुसार सज्जन कंवर जैन, द्वारका प्रसाद शर्मा एवं शांतिलाल जैन ने उक्त जमीन के लगवा बेश्कीमती सरकारी जमीन(Government land) को खुली बोली से खरीदने के बजाए कूटरचित दस्तावेज व नक्शा आदि प्रस्तुत कर खांचा भूमि के रूप बता दिया तथा उक्त फर्जी दस्तावेजों की सहायता से लीज डीड को अपने पक्ष में पंजीबद्ध करा लिया। नियमानुसार खांचा भूमि उसे माना जाता है जिसमे भूमि स्वयं की विद्यमान भू-सम्पति से लगवा हो, उसका क्षेत्रफल किसी भी अवस्था में 100 वर्गगज से अधिक नहीं हो तथा उक्त भूमि स्वतंत्र रूप से विक्रय किए जाने के योग्य नहीं हो।