
अजमेर. Rajasthan Election 2023 : विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। एक पखवाड़े बाद अधिसूचना जारी होने के साथ नामांकन का दौर शुरू होगा। विधानसभा चुनाव में अजमेर जिले पर समूचे राज्य की निगाहें टिकी हैं। यही एकमात्र जिला है जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट गुट में उलझा हुआ है। दोनों नेताओं के भरपूर समर्थक हैं।
पूर्व में सांसद और केंद्रीय मंत्री रहने के कारण पायलट का खासा दबदबा है। सीएम गहलोत का भी बरसों पुराने कांग्रेसियों, कार्यकताओं में प्रभाव कायम है। जिले में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इनमें अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, पुष्कर, नसीराबाद, किशनगढ़, ब्यावर, केकड़ी, मसूदा शामिल हैं। गत चुनाव के समय पायलट पीसीसी चीफ थे। लिहाजा जिले की सभी सीट पर उनकी पसंद से प्रत्याशियों को टिकट मिले, हालांकि कांग्रेस मसूदा और केकड़ी सीट ही जीत पाई। शेष सीट पर उसे हार का सामना करना पड़ा। सीएम अशोक गहलोत का प्रभाव जिले की आठों विधानसभा सीट पर है। संगठन और शीर्ष स्तर पर गुटबाजी के चलते ही कांग्रेस कई सीट कम अंतर से हार रही है।
सीधा टकराव रोकना चुनौती
एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सांसद राहुल गांधी, सोनिया गांधी भी अजमेर जिले में गहलोत-पायलट गुट की प्रतिद्वंद्विता से वाकिफ हैं। दोनों गुटों में सीधा टकराव रोकना उनके लिए चुनौती है। हालांकि पहली बार कांग्रेस ने कर्नाटक मॉडल पर विभिन्न स्तर पर आंतरिक सर्वेक्षण, चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों से व्यक्तिगत साक्षात्कार लिए हैं।
अंदरूनी गुटबाजी चरम पर
ऊपरी तौर पर भले ही कांग्रेस में शांति है, पर अंदरूनी गुटबाजी चरम पर है। पिछले तीन-चार महीने में गहलोत-पायलट समर्थकों में बंटे कांग्रेसियों में मारपीट तक हो चुकी है। दोनों गुटों के नेता कार्यक्रमों में यदा-कदा ही साथ दिखते हैं। इसे रोकना एआईसीसी और पीसीसी स्तर पर खासा चुनौतीपूर्ण है।
Published on:
16 Oct 2023 12:06 pm
बड़ी खबरें
View Allअजमेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
