
चन्द्र प्रकाश जोशी
Ram Mandir अयोध्या में 30 अक्टूबर 1990 की सुबह करीब 11 बजे एक तरफ आईटीबीपी के जवान फायरिंग कर रहे थे, तो दूसरी तरफ कारसेवक सरयू नदी के पुल पर पत्थरबाजी करते हुए आगे बढ़ रहे थे। अजमेर के पंचशील निवासी कारसेवक योगेश प्रसाद शर्मा को आज भी वह मंजर याद है। वे कहते हैं कि मुझे हाथ पर गोली लगी थी, लेकिन जोश के कारण इसका अहसास नहीं हुआ।
मेरे हाथ से बहते खून को देख अन्य कारसेवकों ने बताया कि आपको गोली लगी है। हाथ की कोहनी के नीचे लगी गोली के निशान दिखाते योगेश ने बताया कि कारसेवकों के शवों को सरयू नदी में फेंका जा रहा था। यह देख कई कारसेवक पुल पर पत्थरबाजी कर आगे बढ़ने लगे, तभी मेरे हाथ में गोली लगी। कुछ कारसेवकों ने एम्बुलेंस से मुझे सरकारी अस्पताल पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद फैजाबाद रेफर कर दिया। 9 दिन अस्पताल में उपचार के बाद जबरन डिस्चार्ज कर दिया। इसके बाद वे जयपुर आ गए। जयपुर स्थित संघ कार्यालय में करीब 6 माह तक रहे, उनका इलाज भी एसएमएस अस्पताल में चलता रहा।
एक रात पहले पसरा था अयोध्या में सन्नाटा
योगेश प्रसाद शर्मा ने बताया कि एक रात पहले तक अयोध्या में सन्नाटा पसरा हुआ था। एक ही मैसेज था कि 30 अक्टूबर को सुबह 9 बजे बाद अयोध्या में प्रवेश करना है। हम लखनऊ से पैदल जंगलों से होते हुए 29 अक्टूबर को अयोध्या के पास पहुंच चुके थे। निर्धारित तिथि पर अयोध्या में प्रवेश किया। अजमेर से जब कारसेवकों का जत्था रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया था। तब मैं भी अजमेर रेलवे स्टेशन पहुंच गया और ट्रेन में बैठ गया।
Published on:
09 Jan 2024 12:57 pm
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