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बोला स्कूल प्रबंधन..मामले को लिया गंभीरता से, हमने भेजी शिकायत

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sexual harresment case

sexual harresment case

अजमेर

छात्र के साथ हुई मारपीट और उत्पीडऩ के मामले में चौतरफा घिरे स्कूल प्रबंधन ने कुछ रुख साफ किया है। प्रबंधन ने मीडिया को भेजे वॉट्सएप में अपना पक्ष रखा है। इसमें पीडि़त छात्र की शिकायत को हूबहू पुलिस को पास भेजने और जांच में सहयोग की बात कही गई है।

शहर के एक प्रमुख स्कूल में पिछले दिनों एक छात्र को शराब और मादक द्रव्य पिलाने, मारपीट करने और कथित उत्पीडऩ का मामला उजागर हुआ है। इससे पहले भी साल 2016 में एक सीनियर के जूनियर विद्यार्थी से मारपीट और उत्पीडऩ की घटना हुई थी। इसके बावजूद स्कूल प्रशासन ने मामलों को बेहद हल्के ढंग से लिया। पिछले पांच दिन से खामोश रहने वाले स्कूल प्रबंधन ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना पक्ष रखा है।

लिया मामले को गंभीरता से......

संदेश में स्कूल प्रबंधन (निदेशक/प्राचार्य का नाम नहीं) ने बताया कि छात्र के साथ हुए घटनाक्रम की जानकारी मिलते ही तुरन्त इसे गंभीरता से लिया। स्कूल प्रशासन ने विधिक दायरे में पुलिस और जांच एजेंसियों को भेजा, ताकि सच्चाई सामने आ सके। इसके अलावा छात्र द्वारा स्कूल प्रशासन को दी गई शिकायत को भी अविलम्ब जांच एजेंसियों के पास भिजवाया गया। ताकि छात्र की शिकायत के आधार पर एजेंसी तथ्यों पर जांच कर सके। संदेश में कहा गया है, कि स्कूल प्रबंधन जांच एजेंसी (पुलिस) के साथ हर संभव सहयोग के लिए तैयार है। ताकि मामले की वास्तविकता और सत्य सामने आए।

छात्रों में कैसे पहुंची शराब-ड्रग्स

शहर का यह स्कूल कई बरसों से शैक्षिक केंद्र रहा है। यहां कई प्रख्यात शिक्षाविदें और प्राचार्यों ने सेवाएं दी हैं। उनके कार्यकाल में स्कूल सख्त अनुशासन के लिए मशहूर रहा। कई नामचीन परिवारों के बच्चे यहां पढ़े और ऊंचे पदों पर पहुंचे, लेकिन प्राचार्यों और शिक्षकों के कड़े अनुशासन का उल्लंघन नहीं हुआ। इसके बावजूद स्कूल में शराब, मादक पदार्थ पहुंचना हैरान करने वाला है। ऐसा तब है जबकि स्कूल में हॉस्टल और भवनों पर सीसीटीवी कैमरा लगे हैं। मुख्य द्वार पर जबरदस्त तलाशी और पूछताछ होती है।

समितियां है या नहीं?

पिछले साल गुरूग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में प्रद्युम्न हत्याकांड हुआ था। इसके बाद सीबीएसई ने सभी स्कूल के लिए कड़े निर्देश जारी किए थे इनमें पॉस्को कमेटी का गठन, रैगिंग कमेटी, स्कूल में अभिभावक-शिक्षक-विद्यार्थियों की कमेटी का गठन जैसे प्रावधान शामिल हैं। देशभर में कई स्कूल ने समितियों का गठन और आवश्यक कदम भी उठाए। इस स्कूल में रैगिंग को लेकर तो कई बार सुप्रीम कोर्ट का आदेशों का हवाला देकर छात्रों और परिजनों से पत्र व्यवहार हुआ है। लेकिन पॉस्को और अन्य समितियों के बारे में कहीं स्पष्ट जिक्र नहीं है।

चार साल पहले लिखा था पत्र.....

स्कूल में साल 2014 में दो छात्रों से मारपीट के मामले उजागर हुए थे। पहले मामले में बारहवीं कक्षा के छात्रों ने ग्यारहवीं के छात्र के साथ मारपीट की थी। दूसरे मामले में ग्यारहवीं के चार छात्रों ने अपने सीनियर्स के साथ मारपीट की थी। तत्कालीन प्राचार्य ने सभी परिजनों, छात्रों और गवर्निंग कौंसिल को पत्र लिखा था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2009 के आदेश का हवाला देकर रैगिंग को प्रतिबंधित बताया। साथ ही ऐसे मामलों में भविष्य में कड़ी कार्रवाई की बात कही थी।


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