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गुमनामी में शिक्षा बोर्ड के प्रतिभावान टॉपर्स

Rajasthan Education Board : दो वर्ष से जारी नहीं हुई अव्वल विद्यार्थियों की सूचीमेरिट की जगह लागू की थी व्यवस्था

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अजमेर

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Preeti Bhatt

Oct 23, 2019

दसवीं में छात्रों का दबदबा कायम, कौस्तुभ ने बढ़ाया करौली का मान

दसवीं में छात्रों का दबदबा कायम, कौस्तुभ ने बढ़ाया करौली का मान

सुरेश लालवानी

अजमेर. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान (Board of Secondary Education, Rajasthan) की परीक्षाओं (exams) में पूरे राज्य में अव्वल रहने वाले विद्यार्थी पिछले दो वर्ष से शिक्षा जगत में गुमनाम से है। वजह यह है कि परीक्षाओं में टॉप करने वाले इन प्रतिभाशाली विद्यार्थियों (students) की सूची (Merit list) जारी नहीं की गई। परीक्षाओं में सर्वोच्च अंंक लाने वाले इन विद्यार्थियों की जानकारी महज आमजन को ही नहीं बल्कि स्वयं टॉपर्स (toppers) को भी नहीं है।

शिक्षा बोर्ड ने 2017 में सीनियर सैकंडरी कला, वाणिज्य और विज्ञान वर्ग सहित दसवीं परीक्षाओं में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पदक वितरित करने की व्यवस्था लागू की थी। बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बी. एल. चौधरी ने मेरिट (Merit) की बजाए इस नई व्यवस्था को लागू किया था। 2017 की परीक्षाओं में अव्वल रहने वाले विद्यार्थियों को तो स्वर्ण और रजत पदक वितरित किए गए लेकिन चौधरी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अगले साल ही इस व्यवस्था पर विराम लग गया।

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इसलिए बदलनी पड़ी व्यवस्था

शिक्षा बोर्ड की ओर से वर्ष 2017 से पूर्व बारहवीं और दसवीं की परीक्षाओं में प्रथम दस स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की राज्य और जिला स्तरीय योग्यता सूची (Merit list) जारी की जाती थी। 2017 में एक ही स्कूल के 16 विद्यार्थियों के मेरिट में आने और उसके बाद उठे विवादों के चलते योग्यता सूची पर रोक लगा दी गई। हालांकि परीक्षाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाने के लिए टॉपर्स की सूची जारी करने की नई व्यवस्था लागू की गई। इसके तहत प्रत्येक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण और द्वितीय व तृतीय स्थान पर आने वाले विद्यार्थियों को रजत पदक देने का प्रावधान था।

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दीक्षांत समारोह में जारी होगी सूची

इधर शिक्षा बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि नई व्यवस्था के तहत विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में सम्मानित करने का प्रावधान है। परीक्षाओं में टॉप करने वाले विद्यार्थियों की सूची भी इसी दौरान जारी की जाती है। पिछले दो वर्ष से पूर्णकालिक बोर्ड अध्यक्ष नहीं होने के कारण दीक्षांत समारोह भी आयोजित नहीं किया जा रहा है। नियमों के तहत दीक्षांत समारोह से पूर्व टॉपर्स की सूची सार्वजनिक नहीं की जा सकती।

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