चंद सिक्कों के लिए छलनी कर रहे पहाड़
अंधाधुंध अवैध खनन से पर्यावरण को खतरा : तिलोरा पंचायत की आबादी के पहाड़ को अवैध खनन कर बेच रहे हैं ग्रामीण

पुष्कर (अजमेर). पुष्कर के तिलोरा पंचायत की आबादी के पहाड़ों की अवैध खनन ग्रामीणों की कमाई का जरिया बना हुआ है। पंचायत व खान विभाग के कारिन्दों की कथित मिलीभगत के चलते चौबीस घंटे पहाड़ों में पत्थर तोड़े जा रहे हैं। चंद सिक्कों के लिए ग्रामीण पहाड़ों को चट कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है।
तिलोरा से बाड़ी घाटी की ओर जानी वाली आम सडक़ से लगे पहाड़ की पूरी शृंखला ही अवैध खनन के चलते अपना अस्तित्व खोती जा रही है। दिनरात पहाड़ों से अवैध खनन कर निकाले जा रहे पत्थरों का टे्रक्टर ट्रॉली की मार्फत परिवहन किया जा रहा है। पंचायत के कारिन्दों को सब पता है लेकिन ग्रामीणों के दबाव के चलते सभी मूक दर्शक बने है तथा प्राकृतिक सम्पदा के अवैध दोहन का सिलसिला जारी है। हालत यह है कि ऊंचे पहाड़ों के बीच ऊबड़-खाबड़ खाइयां दिखने लगी हैं। उपखंड अधिकारी, तहसीलदार सहित सरपंच स्तर पर इस अवैध खनन को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।
बनाया आमदनी का जरिया
खनन के शिकार पहाड़ तिलोरा पंचायत क्षेत्र में आते हैं लेकिन खनन लीज खान विभाग ही देता है। सरपंच प्रकाश कंवर के पति राजेन्द्र सिंह की मानें तो वर्तमान में रशीद नाम के व्यक्ति के नाम पर ही लीज दी गई है। इससे पहले तीन जनों के नाम लीज थी लेकिन उनकी ओर से निर्धारित टैक्स जमा नहीं कराने के बाद उनके नाम लीज का नवीनीकरण नहीं हो सका है वहीं ग्रामीणों ने दबी जुबान में पत्रिका को बताया कि तिलोरा गांव में पानी की समस्या होने से खेतीबाड़ी लगभग समाप्त हो गई है। आमदनी का कोई जरिया नहीं होने से ग्रामीणों ने ऊंचे पहाड़ों के अवैध खनन का काम शुरू कर दिया है। इनका कहना है
तिलोरा पंचायत की आबादी में पहाड़ है। खनन रोकने का काम खान विभाग का है।
- प्रकाश कंवर, सरपंच तिलोरा पंचायत
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