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कासगंज हिंसा में आंख खोने वाले अकरम का वीडियो लोगों की आंखें खोल देगा

हिंसा में जख्म मिलने के बाद भी घायल अकरम हबीब की अपील उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं।

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अकरम हबीब

अकरम हबीब

अलीगढ़। उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान भड़की हिंसा ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया। तीन दिन बाद भी कासगंज शहर इस घटना से उबर नहीं पाया। हर बार की तरह कासगंज हिंसा पर भी सियासी बयानबाजी हो रही है, लेकिन उन लोगों का दर्द कोई नहीं समझ रहा, जो हिंसा का शिकार हुए हैं। क्या बीत रही होगी सुशील गुप्ता पर जिन्होंने अपना 22 साल का बेटा चंदन खो दिया। क्या हाल है अकरम हबीब का, जिसने अपनी औलाद देखने से पहले एक आंख खो दी।

हिंसा में अकरम ने खोई एक आंख
कासगंज हिंसा का शिकार अकरम हबीब लखीमपुर खीरी के रहने वाले हैं। वो अपनी गर्भवती पत्नी की डिलीवरी कराने कार से अलीगढ़ जा रहे थे। उन्होंने बताया कि रास्ते में ये हादसा हो गया। कुछ लोगों ने उन पर हमला किया। उन्हें ईंट-पत्थरों से मारा। हमलावरों ने यह भी नहीं सोचा कि ये आदमी यहां का नहीं राहगीर है। इंसान नहीं, उनको शैतान ने बरगलाया था। उनमें कुछ लोग अच्छे भी थे। जिन्होंने मुझे जाने दिया। घायल अकरम ने कहा कि मैं तो वक्ती तौर पर वहां था, लेकिन उस परिवार पर क्या बीतती रही होगी, जिसने अपना बेटा खो दिया। मेरा हिन्दू भाई मारा गया।

अकरम हबीब ने की ये अपील
घायल अकरम हबीब ने अपील करते हुए कहा कि मुस्लिम और हिन्दू भाई से आपस में मिलजुल कर रहे। हर इंसान एक इंसान है। बाद में वो हिन्दू और मुसलमान है। आज कुछ अच्छ लोगों की बदौलत ही मैं अपनी बेटी को देख पाया। जुल्म करने के बाद उन लोगों ने मुझे जिंदगी दे दी। बस दुआ है अल्ला से, उनको हिदायत दे। उनके दिल की गंदगी हटाकर सुकून और अमन से जीना सिखाए। हिंसा में जख्म मिलने के बाद भी घायल अकरम हबीब की ये अपील उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं।