
राहुल उपाध्याय
कासगंज। कासगंज हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर ज्ञान बघारने वालो ये खबर ध्यान से पढ़ लो। फेसबुक और वॉट्सऐप पर राहुल उपाध्याय को ‘शहीद’ बता रहे हो, लेकिन वह जीवित है और सकुशल है। वह तो घटनास्थल पर था ही नहीं। फिर वह कैसे शहीद हो सकता है।
क्या थी घटना
गणतंत्र दिवस पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने तिरंगा यात्रा निकाली थी। नदरई गेट पर इसका विरोध हुआ। पथराव औऱ फायरिंग होने लगी। गोली लगने से बीकॉम के छात्र चंदन गुप्ता की मौत हो गई। दो लोग घायल हुए, जिनका इलाज जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ में चल रहा है। इसके बाद तीन दिन तक कासगंज मे हिंसा होती रही। चौथे दिन शांति है। बाजार खुल गया है।
ये फैलाई थी अफवाह
अब हो ये रहा है कि चंदन गुप्ता के साथ राहुल उपाध्याय के फोटो फेसबुक पर लगाकर शहीद बताया जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि राहुल उपाध्याय भी शहीद हुआ है, जिसकी मौत छिपाई जा रही है। उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। राहुल के बारे में अफवाह फैलाई गई थी कि गंभीर चोट लगने पर उसे अलीगंज के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कहीं लोग भड़क न जाएं, इस कारण उसकी मौत को छिपाया जा रहा है।
मैं जिन्दा हूं
हकीकत कुछ और ही है। राहुल उपाध्याय नगला गंज में रहता है। यह गांव कासगंज से करीब 10 किलोमीटर दूर है। पुलिस ने उसका पता लगाया। पूछताछ में राहुल ने पुलिस को बताया कि वह जीवित है। कासगंज में जब घटना हुई तो वह अपने गांव नगला गंज में था। राहुल के शरीर पर किसी भी तरह की चोट का निशान नहीं है। इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता है कि वह कोई बात छिपा रहा है। पुलिस राहुल को लेकर कोतवाली कासगंज आई। उससे अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) आगरा जोन अजय आनंद, पुलिस महानिरीक्षक अलीगढ़ जोन संजीव गुप्ता और अन्य पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की। राहुल उपाध्याय ने बताया कि उसके रिश्तेदारों ने फोन पर जानकारी दी कि उसे कासगंज हिंसा में मृत बताया जा रहा है। इंटरनेट बंद होने के कारण उसे कुछ पता ही नहीं चला है। इस कारण खंडन नहीं कर पाया।
Published on:
29 Jan 2018 06:01 pm
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