
इलाहाबाद हाईकोर्ट: आरोपी पुलिसकर्मी निर्दोष सिखों को आतंकवादी कहकर उनकी बर्बर और अमानवीय हत्या की है, नहीं है माफी के योग्य
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी मुठभेड़ में सिखों की हत्या करने वाले 34 पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त आदेश देते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया है। 1991 फर्जी मुठभेड़ में 10 सिखों को आतंकवादी मानकर हत्या करने का आरोप लगा है। मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बृज राज सिंह की खंडपीठ ने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मी निर्दोष व्यक्तियों को आतंकवादी कहकर उनकी बर्बर और अमानवीय हत्या में शामिल रहे। इसीलिए यह आरोपी माफी के योग्य नहीं है।
कोर्ट ने सुनवाई के लिए पुलिसकर्मियों की दोषसिद्धि को चुनौती देने वाले अभियुक्तों की आपराधिक अपील को 25 जुलाई, 2022 को सूचीबद्ध करते हुए कहा कि यदि कुछ मृतक असामाजिक गतिविधियों में शामिल थे और उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे तो कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का भी पालन किया जाना चाहिए था। उन्हें अपना काम करना चाहिए था और आतंकवादियों के नाम पर निर्दोष व्यक्तियों की इस तरह बर्बर और अमानवीय हत्या में लिप्त नहीं होना था।
संक्षेप में मामला अभियोजन मामले के अनुसार, 12 जुलाई 1991 को उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टीम द्वारा जिला पीलीभीत (अपीलकर्ता) की एक टीम द्वारा पीलीभीत के पास यात्रियों/तीर्थयात्रियों से भरी एक बस को सुबह करीब 09-10 बजे रोका गया। इसके बाद यात्रियों को पूरी रात बस में घुमाते रहे। उसके बाद रात में पुलिसकर्मी बस को पीलीभीत के एक गुरुद्वारे में छोड़ गए। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने 10 सिखों को तीन अलग-अलग जगह विभाजित करके आतंकवादी के रूप में दिखाते हुए मार डाला। इस मामले में पुलिसकर्मियों पर 10 युवकों की हत्या के आरोप में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई।
Published on:
26 May 2022 10:46 am
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