29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मामले में याची को नहीं दी राहत, याचिका खारिज

मामले में याची ने कहा कि उसने कोई अतिक्रमण नहीं किया है और उसके अभ्यावेदन पर सुनवाई नहीं की गई। इसके साथ ही नोटिस को भी सही तरीके से नहीं भेजा गया है। और न ही किसी भी तरह का मुआवजा दिया गया है। इसीलिए अतिक्रमण नहीं हटा तो राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत प्राधिकरण उसे हटा देगा।  

less than 1 minute read
Google source verification
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मामले में याची को नहीं दी राहत, याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मामले में याची को नहीं दी राहत, याचिका खारिज

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से याची को जारी नोटिस पर राहत देने से इनकार कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। याची को अनुच्छेद 226 के तहत कोई राहत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने मेरिट के आधार पर याचिका को खारिज कर दिया। मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता व न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने कौशाम्बी निवासी अजय मिश्रा की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

न्यायालय में याची की ओर से तर्क दिया गया कि कानपुर जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कानपुर नोटिस जारी करते हुए जानकारी दी गई है कि अतिक्रमण बना हुआ है और इसे तीन दिन में हटा ले। अतिक्रमण से यातायात प्रभावित हो रहा है। जिसकी वजह से दुर्घटना की संभावना बनी हुई है। इसीलिए अतिक्रमण नहीं हटा तो राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत प्राधिकरण उसे हटा देगा।

मामले में याची ने कहा कि उसने कोई अतिक्रमण नहीं किया है और उसके अभ्यावेदन पर सुनवाई नहीं की गई। इसके साथ ही नोटिस को भी सही तरीके से नहीं भेजा गया है। और न ही किसी भी तरह का मुआवजा दिया गया है।

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट: कर्मचारी के बर्खास्तगी आदेश पर कोर्ट नहीं लगा सकती रोक, अंतरिम आदेश किया रद्द
मामले में यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है।इलाहाबाद स्थित केंद्रीय प्रशानिक अधिकरण की पीठ ने केंद्र सरकार के कर्मचारी रामप्रसाद की सेवा समाप्ति आदेश को अंतरिम आदेश के माध्यम से स्थगित कर दिया था। जिसको भारत सरकार द्वारा याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी ।