
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'गंगा-जमुनी तहजीब' का समर्थन किया, कहा- विभिन्न पथों के साधकों को राष्ट्रपिता को याद करना अच्छा होगा
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच एक विवाद पर एक आपराधिक मामले के संबंध में एक आरोपी को जमानत देते कहा कि किसी की नफरत ने महात्मा गांधी के शरीर को समाप्त कर दिया लेकिन मानवता के लिए उनका प्रेम खत्म नहीं हुआ। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि विभिन्न पथों के साधकों को राष्ट्रपिता को याद करना अच्छा होगा। महात्मा अपने जीवन के उदाहरण और उनकी मृत्यु के तथ्य से हमें याद दिलाते हैं कि चार सभी धर्मों की खोज और एक भारतीय धर्म का सार अपने साथियों के प्रति प्रेम है।
किसी की नफरत ने उनके शरीर को समाप्त कर दिया, लेकिन मानवता के प्रति उनके प्यार को नहीं समाप्त नहीं कर पाया। एक गोली ने उनके नश्वर शरीर को शांत कर दिया, लेकिन सच्चाई को चुप नहीं करा सकी। मामले में जस्टिस अजय भनोट की खंडपीठ ने भी गंगा जमुनी तहज़ीब का समर्थन किया क्योंकि उन्होंने कहा था कि यह बातचीत में मनाया जाने वाला अनुष्ठान नहीं है, यह आचरण में उपयोग की जाने वाली एक आत्मा शक्ति है।
गंगा जमुनी तहज़ीब बातचीत में मनाया जाने वाला अनुष्ठान नहीं है, वास्तव में यह आचरण में उपयोग की जाने वाली एक आत्मा शक्ति है। गंगा जमुनी तहज़ीब संस्कृति केवल मतभेदों की सहनशीलता नहीं है, बल्कि विविधता का हार्दिक आलिंगन है। उत्तर प्रदेश राज्य का लोकाचार भारतीय दर्शन की उदारता प्रकट करता है।
कोर्ट ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को सभी नागरिकों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने और शांति सुनिश्चित करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होगा। ये टिप्पणियां तब आईं जब अदालत ने अनवर नामक व्यक्ति को जमानत दी , जिस पर चुनाव के बाद दो पक्षों के बीच हिंसा की एक घटना के संबंध में आईपीसी की धारा 147, 148, 504, 307, 354 और धारा 324 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
Published on:
25 May 2022 12:00 am
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