
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी: प्राथमिकी दर्ज करने के बाद हाथ नहीं धो सकता मजिस्ट्रेट, निष्पक्ष विवेचना कराने की है जिम्मेदारी
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अपराध की प्राथमिकी दर्ज कराकर मजिस्ट्रेट हाथ धोकर नहीं बैठ सकता। अपराध की सही व निष्पक्ष विवेचना की जाए इसके लिए उसका विधिक दायित्व है। कोर्ट ने सीजेएम मथुरा को निर्देश दिया है कि वह विवेचना अधिकारी को शिकायतकर्ता के लिखित बयान व गवाहों के हलफनामे विवेचना अधिकारी को अग्रसारित कर निष्पक्ष विवेचना सुनिश्चित कराये। यह आदेश न्यायमूर्ति उमेश कुमार ने माधव सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता धर्मेंद्र सिंह का कहना था कि याची ने धोखाधड़ी, षड्यंत्र व गबन के आरोप में गौरवेंद्र सिंह के खिलाफ मगौरा थाने में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने लीपापोती कर आरोपियों को बचाने का प्रयास किया और फाइनल रिपोर्ट पेश की। जिसपर याची ने आपत्ति जताई।
सीजेएम ने रिपोर्ट निरस्त कर नये सिरे से विवेचना रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। इसके बावजूद पुलिस सही जांच नहीं कर रही। शिकायत कर्ता व गवाहों के विवेचक ने बयान दर्ज नहीं किया।तो मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान व गवाहों के हलफनामे दाखिल कर याची ने इसे विवेचना अधिकारी को अग्रसारित करने तथा निष्पक्ष विवेचना करने का आदेश जारी करने की मांग की। इस अर्जी को सी जे एम ने खारिज कर दिया।जिसपर यह याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को उसके सामने दाखिल बयान व हलफनामे विवेचना अधिकारी को अग्रसारित कर निष्पक्ष विवेचना कराने का निर्देश दिया है।
सीजेएम मथुरा को बयान व गवाहों के हलफनामे विवेचक को अग्रसारित करने का निर्देश
Published on:
06 Mar 2022 07:25 pm
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