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कोरोनाकाल में मिसाल : अनूठी शादी, न बाजा न शहनाई, बाराती भी सिर्फ एक

locationप्रयागराजPublished: May 02, 2021 04:07:23 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

Corona Precedent Unique wedding – लोगों को वक्त के साथ चलने की दी सीख- सादगी से की गई इस शादी ने बहुत सारे लोगों के दिलों में जगह बनाई – सोचने पर मजबूर किया आखिर इसमें खामी ही क्या है?- साथ ही शादी ने संदेश दिया कि जान है तो जहान है

कोरोनाकाल में मिसाल : अनूठी शादी, न बाजा न शहनाई, बाराती भी सिर्फ एक

कोरोनाकाल में मिसाल : अनूठी शादी, न बाजा न शहनाई, बाराती भी सिर्फ एक

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज. Corona Precedent Unique wedding : इस वक्त पूरे प्रदेश में कोरोना वायरस बेलगाम हो चुका है। जरा सी असावधानी बरती और दुर्घटना घटी। पर बावजूद इसके जिंदगी चल रही है। और सभी लोग अपने जरुरी काम को अंजाम दे रहे हैं। कोरोना काल में कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए की गई एक शादी लोगों के लिए मिसाल बन गई है। सभी इस शादी को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
जान है तो जहान है :- इस शादी में दूल्हा था दुल्हन थी। न बाजा न शहनाई, बाराती भी सिर्फ एक। वह भी दूल्हे की बहन। सड़कों पर नाच गाना, आतिशबाजी जैसे धूम-धड़ाको से वर और कन्या पक्षों दूर से ही हाथ जोड़ लिया। रिश्तेदारों को कोरोना वायरस का वास्ता देकर सभी को घर में रहने को कहा, और उनसे आशीर्वाद ले लिया। सादगी से की गई इस शादी ने बहुत सारे लोगों के दिलों में जगह बनाई और सोचने पर मजबूर किया आखिर इसमें खामी ही क्या है। साथ ही इस शादी ने संदेश दिया कि जान है तो जहान है।
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जलपरी तरुणा निषाद (jalpari Taruna Nishad) मशहूर नाम :- अब उनके बारे में जानिए जिन्होंने इस नए चलन को बढ़ावा देने की एक छोटी सी पहल की। दुल्हन का नाम बेहद परिचित है। संगमनगरी में यमुना तट केककरहा घाट पर जलपरी तरुणा निषाद। तरुणा निषाद वाटर स्पोर्ट्स में अब तक कई उपलब्धियां अपने नाम कर चुकी हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने कई पदक जीते हैं। वर्ष 1995-96 में अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज करा चुकी हैं।
दूल्हा खुद कार चलाकर मंडप तक गया :- इस दुल्हन तरुणा निषाद और दूल्हे यतींद्र कश्यप ने सादगी से ब्याह रचाया। यतींद्र खुद कार चलाते हुए मंडप तक गए। साथ में बाराती के नाम पर उनकी बड़ी बहन थीं। दुल्हन और उनके पिता त्रिभुवन ने मंडप में दूल्हे की अगवानी की। और व्याह पूरा हुआ। इसके साथ लोगों को वक्त के साथ चलने की सीख दी।
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