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यूपी में सीबीआई जाँच करती रही और एसटीएफ ने कर दी गिरफ्तारी जानिए क्या है मामला

locationप्रयागराजPublished: Jun 05, 2019 11:41:06 pm

 
प्रतियोगी निलंबन और कर्मचारी सीबीआई जांच पर अड़े

प्रयागराज। लोकसेवा आयोग पिछले पांच दिनों से जंग का मैदान बना हुआ।एक तरफ प्रतियोगी छात्र तो दूसरी तरफ कर्मचारी धरना प्रदर्शन करने में जुटे है।सरकार जहां इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही बता रही तो कर्मचारी इसे उत्पीड़न और गलत कार्यवाही करार दे रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच सवालों के घेरे में सीबीआई की जांच है। दरअसल सीबीआई पिछले ढाई सालों से जांच में जुटी रही सवाल यह की जब सीबीआई कि नजर आयोग पर थी और जांच चल रही थी तब कैसे इतना बड़ा खेल हुआ।

आंदोलन कर रहे कर्मचारी जहां सीबीआई से जांच कराने पर अड़े है तो वहीं प्रतियोगी आंदोलनकारियों का कहना है कि जब सीबीआई अपनी रिपोर्ट अब तक नहीं दे पाई है आगे भी यही हालात रहेगा। क्या सीबीआई स्वतंत्रता पूर्वक काम नहीं कर रही थी या फिर जांच के नाम पर खानपूर्ति हो रही थी। यूपी में आयोग की जांच कर सीबीआई से ज्यादा आगे एसटीएफ काम कर रही है।एसटीएफ ने जिस तरह मामले का खुलासा किया और दो बड़े आरोपियों की हिरासत में ले लिया उससे पूरे आयोग में खलबली मच गई है।

प्रतियोगी छात्रों का मानना है कि सीबीआई अगर इमानदारी से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी। सीबीआई की नजर में आयोग था तब कैसे इतना बड़ा खेल हो गया। जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी को क्यों बदला गया।सपा शासनकाल में 2012 से लेकर 2017 तक के बीच हुई भर्तियों की जांच के लिए प्रतियोगी छात्र आंदोलन कर रहे थे। भाजपा की सरकार आने के बाद 20 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोग की सीबीआई जांच की घोषणा की थी।25 जनवरी 2018 को जांच अधिकारी सीबीआई राजीव रंजन मामला दर्ज करते हुए 4 नवंबर 2018 को उन्हें हटा दिया गया और पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल में 2011 से लेकर 2015 तक की भर्ती हुई थी जिसको नियम संगत बताते हुए सभी कापियां जला दी गई और सारे काले करतूत खाक हो गए।


कब क्या हुआ

20 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच की घोषणा की थी।31 जुलाई 2017 को इस संबंध में केंद्र सरकार से सिफारिश की गई ।21 नवंबर 2017 केंद्र सरकार के कार्मिक व पेंशन मंत्रालय ने यूपीएससी की सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी की।25 जनवरी 2018 को जांच अधिकारी एसपी सीबीआई राजीव रंजन ने लखनऊ में मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू की।31 जनवरी 2018 को राजीव रंजन को आयोग परिसर में आयोग कर्मियों के भारी विरोध के बीच प्रवेश हुआ तथा कागजों की तलाशी शुरू हुई।28 फरवरी 2018 को आयोग के अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव की वह याचिका खारिज हुई जिसमें सीबीआई जांच रोकने का अनुरोध किया गया था अनुज यादव सुप्रीम कोर्ट भी गए लेकिन वहां से उन्हें कामयाबी नहीं मिली।5 मई 2018 को सीबीआई टीम आयोग के विरुद्ध पहली एफ आई आर दर्ज कर भारी फोर्स के साथ आयोग पर रेट किया और अहम दस्तावेज सील किए।19 जून 2018 को पत्र सीबीआई की जांच टीम ने उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखकर अपर निजी सचिव भर्ती 2010 में भारी गड़बड़ी की जांच की अनुमति मांगी।4 अक्टूबर 2018 को प्रदेश सरकार ने अपर निजी सचिव भर्ती के परीक्षा के संपूर्ण परिणाम की जांच का अनुमोदन गृह मंत्रालय को भेज दिया।17 नवंबर 2018 को गृह मंत्रालय ने जांच अधिकारी राजीव रंजन को सीबीआई से हटाकर उनकी गृह प्रवेश सिक्किम भेजने का निर्देश दिया।

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