
स्थानीय निकाय विभाग जयपुर उप निदेशक विनोद पुरोहित की जांच रिपोर्ट ने 12.87 लाख के घोटाला सामने आया था, जिसे नगर निगम ने नकार दिया है और एक ही दिन में जांच करवाकर आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है। निगम अधिकारियों ने कहा कि अलवर निगम की ओर से खरीदी गई जेसीबी में कई खूबियां हैं? अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर 5 माह से जेसीबी क्यों खड़ी हैं? शहर के कामों के लिए इन्हें धरातल पर क्यों नहीं लाया गया? पहले इस मामले की जांच क्यों नहीं कराई गई? इस मामले में फंस रहे तीन अफसर को बचाने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है।
स्थानीय निकाय विभाग जयपुर उप निदेशक विनोद पुरोहित की ओर से कराई गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि दो जेसीबी मशीनें जिनके स्पेसिफिकेशन समान हैं। अलवर में जेसीबी खरीद में 12 लाख 87 हजार 532 रुपए अधिक क्रय किया जाना पाया गया है। ऐसे में शिकायतकर्ता की जांच पुष्ट पाई गई है। उन्होंने नगर निगम आयुक्त से इन मशीनों की खरीद में शामिल अधिकारी व कार्मिकों के नाम मांगे थे, ताकि डीएलबी की ओर से चार्जशीट जारी हो, लेकिन निगम ने करीब 25 दिन लेटर दबाया। राजस्थान पत्रिका ने खुलासा किया तो आनन-फानन में अपने स्तर से ही जांच कर तथ्य सामने रख दिए और इस जांच रिपोर्ट को नकार दिया।
नगर निगम आयुक्त जीतेंद्र सिंह नरूका ने कहा है कि गाजियाबाद व अलवर नगर निगम की ओर से क्रय की गई बैकहोय लोडर मशीनों (जेसीबी) में भिन्नताएं पाई गई हैं, जिसके कारण से दरों में भी विचलन देखने में मिला है। यह जैम पोर्टल के जरिए खरीदी हैं। गाजियाबाद नगर निगम से दर 6.43 लाख रुपए प्रतिनग अधिक होने का मुख्य कारण बैकहोय लोडर का फोरव्हील ड्राइव होना, लोडर बकेट मिनिमम कैपेसिटी 0.1 घनमीटर अधिक हैं। ओपरेटिंग वेट 100 किलो अधिक रहा है।
Published on:
07 Oct 2025 11:02 am
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