
दो मई को अलवर सहित भरतपुर व धौलपुर में आए तूफान व उससे हुई तबाही के बाद से लोगों के मन में डर बैठ गया। इसके बाद फिर से तूफान की आशंका से आमजन सदमें में था। उसे डर था कि जाने इस बार तूफान क्या गुल खिलाएगा? लेकिन मंगलवार शाम 6 बजे बाद मौसम के साफ होने एवं तूफान की आशंका खत्म होने से लोगों की जान में जान आई। गौरतलब है कि दो मई को आए तूफान ने जिले में जमकर तबाही मचाई। तूफान में बड़े-बड़े दरख्त धराशायी हो गए। करीब दस हजार से ज्यादा विद्युत पोल टूट गए। विद्युत तंत्र पूरी तरह चरमरा गया। स्थिति ये थी अलवर शहर में लोग चार दिन बिना बिजली-पानी के रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हाल इससे भी बुरा था। कई गांवों में तो इससे भी अधिक समय तक अंधेरा पसरा रहा।
हवा की गति थी कम
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो सोमवार को जिले में चली हवा की गति कम थी। तूफान में 100 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे अधिक की रफ्तार से हवा चलती है। सोमवार रात करीब 11 बजे चली हवा की गति बहरोड़ में करीब 60 किलोमीटर प्रति घंटा थी, जो अलवर पहुंचते-पहुंचते लगभग 40 किलोमीटर रह गई। मंगलवार तडक़े चली हवा की गति भी लगभग 55 किलोमीटर प्रति घंटा थी, जबकि दो मई को आए तूफान की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक थी।
प्रशासन रहा अलर्ट, बनाई टीमें
मौसम विभाग की चेतावनी के बाद सोमवार रात से अलवर में प्रशासन भी अलर्ट रहा। प्रशासन ने तूफान से निपटने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया। एक-एक आरएएस अधिकारियों के नेतृत्व में यूआईटी, नगर परिषद व विद्युत निगम अधियंताओं व कर्मचारियों की टीमें गठित की। उधर, विद्युत निगम ने भी अपने सभी जीएसएस पर कर्मचारियों को अलर्ट कर अलग-अलग टीमों का गठन किया। पुलिस विभाग भी रात भर अलर्ट रहा।
शाम 6 बजे मिली राहत
मौसम विभाग ने मंगलवार शाम 6 बजे तक कई जिलों में तूफान की आशंका जताई थी। इसके चलते मंगलवार शाम तक लोगों की सांस गले में अटकी रही। वहीं, पुलिस-प्रशासन व विद्युत निगम भी पल-पल की जानकारी लेता रहा। उनकी ओर से तूफान से निपटने के इंतजाम भी किए गए, लेकिन जैसे ही शाम के 6 बजे सभी लोगों की जान में जान आ गई।
तूफान व बवंडर में अन्तर
गर्मी के मौसम में छोटे-छोटे धूल के बवंडर दिखते हैं, जो गोलाकार स्तम्भ बनाते हैं। यह कम क्षेत्रफल में तबाही मचाता है। जबकि तूफान बड़े क्षेत्रफल में तबाही मचाता है। बवंडर तब बनता है, जब हवा गर्म होकर ऊपर उठती है। कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुरेन्द्र मनोहर के अनुसार गर्म व ठंडी हवाओं के सम्पर्क में आने से तूफान व बवंडर के आसार बनते हैं। उन्होंने बताया कि तापमान बढऩे पर तूफान की पुनरावृत्ति हो सकती है।
Published on:
09 May 2018 09:27 am
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