प्रदेश की राजनीति में भले ही पंचायत चुनाव की चर्चा हो, लेकिन भाजपा में इन दिनों संगठन चुनाव की चर्चा ज्यादा है। भाजपा में दो जिले बनने और मंगलवार को जिलाध्यक्ष पद के नामांकन भराने के कारण संगठन चुनाव की चर्चा जोर पकड़ गई है।
जिलाध्यक्ष की कतार में कई नेता भाजपा के जिला चुनाव प्रभारी की ओर से जिलाध्यक्ष पद के नामांकन लेने का कार्यक्रम तय करने से पार्टी के कई नेता जिलाध्यक्ष बनने की कतार में लग गए हैं। वैसे तो जिलाध्यक्ष पद के लिए भाजपा के दोनों जिलों में नेताओं के बीच खींचतान है, लेकिन नए जिले उत्तर में जिलाध्यक्ष पद को लेकर नेता ज्यादा उत्सुक दिखाई पड़ते हैं। कारण उत्तर जिले में भाजपा के ज्यादातर कदावर नेताओं का हस्तक्षेप है। ऐसे में हर कोई नेता स्वयं या अपने किसी समर्थक कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष बनवाने के लिए प्रयासरत है। हालांकि दक्षिण जिले में कई नेता जिलाध्यक्ष पद की कतार में लगे हैं।
लॉबिंग में जुटे भाजपा नेता जिलाध्यक्ष पद पर दावेदारी जता रहे ज्यादातर पार्टी नेता इन दिनों लॉबिंग में जुटे हैं। इस बार ज्यादा संभावना आपसी चर्चा व रायशुमारी से दोनों जिलों के जिलाध्यक्ष निर्वाचन की है। इस कारण दावेदार जिलाध्यक्ष पद के निर्वाचन प्रक्रिया के पात्र नेताओं की लॉबिंग कर रहे हैं। कारण है कि जिस दावेदार के पक्ष में ज्यादातर पार्टी नेताओं का समर्थन होगा, संभवत: पार्टी उसी के नाम की घोषणा करेगी।
नामांकन व नाम वापसी फार्म लेंगे भाजपा की ओर से इस बार जिलाध्यक्ष पद के लिए दावेदारों से दो फार्म लिए जाएंगे। इनमें एक नामांकन तथा एक नाम वापसी का फार्म होगा। पार्टी की इस प्रक्रिया को लेकर भी नेताओं के मन में शंका घर करने लगी है। नामांकन के साथ नाम वापसी का फार्म पहली बार लिया जा रहा है।
जिलाध्यक्ष चुनाव में शह-मात का खेल भी भाजपा जिलाध्यक्ष चुनाव में नेता शह मात के खेल में भी पीछे नहीं है। जिलाध्यक्ष पद के चुनाव में पार्टी नेता एक-दूसरे को शिकस्त देने की रणनीति में जुट गए हैं। पार्टी के नेताओं की जुबां पर इन दिनों जिलाध्यक्ष का चुनाव है, जबकि जिले में होने वाले पंचायत चुनाव पर ज्यादातर पार्टी नेताओं का ध्यान नहीं है।