
अलवर। हरी मिर्च का तीखा स्वाद अलवर के सैकड़ों किसान परिवारों को मालामाल कर रहा है। अलवर में पैदा हो रही हरी मिर्च के तीखे स्वाद के दिल्ली, मुम्बई और आगरा में बड़ी होटलों और घरों में बड़ी संख्या में दीवाने हैं। डिमांड को देखते हुए अलवर के 1600 से ज्यादा किसान परिवार हरी मिर्च का उत्पादन कर रहे हैं और हर साल करोड़ों रुपए कमा रहे हैं।
जिले में हरी मिर्च की फसल को कारोबारी जामा पिछले पांच सालों में पहनाया गया है। इससे पहले किसान खेत की छोटी सी जगह में इसे उगाते थे और सब्जी के साथ मामूली रकम में इसे बेच देते थे। बाजार में सब्जी के साथ मुफ्त में मिलने वाली हरी मिर्च अब किसानों के लिए लाभदायक नगदी फसल बन गई है। इस फसल को नर्सरी में दिसंबर और जनवरी में तैयार किया जाता है।
इसकी फसल अप्रेल माह से नवंबर माह तक आती है। इस अवधि में पौधा 6 या 7 बार मिर्च देता है। इसको किसान समीप की मंडी में बेच देते हैं। जिले में थानागाजी के प्रतापगढ़ क्षेत्र के गांव गोवड़ी, गुढ़ा चुरानी, मूड़ियाबास व मजोड़ सहित बानसूर क्षेत्र के करीब पांच गांवों में इसकी पैदावार होती है। कभी मामूली रकम में बिकने वाली हरी मिर्च पिछले पांच सालों में यहां 15 रुपए प्रति किलो से कम नहीं रही। पिछले साल 25 से 30 रुपए प्रति किलो तक के भाव में भी हरी मिर्च बिकी थी।
पैदावार 50 क्विंटल प्रति बीघा
अलवर जिले में हरी मिर्च का कारोबार 550 हैक्टेयर में होने लगा है। एक बीघा में इसकी पैदावार से खर्चा निकाल कर एक लाख रुपए का सीधा लाभ कम से कम होता है। इस हिसाब से अलवर जिले में 25 करोड़ रुपए की हरी मिर्ची बिकती है। अलवर जिले में हरी मिर्च की खेती किसानों को रास आ रही है और इसकी पैदावार 50 क्विंटल प्रति बीघा होती है।
हरी मिर्च का कारोबार बढ़ता जा रहा है। इसकी खेती करने वाले किसान इसको वैज्ञानिक तरीके से करने लगे हैं। इसका परिणाम यह है कि मिर्च की पैदावार करने वालों की संख्या हर साल बढ़ी है।
लीलाराम जाट, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग
हमारे आसपास के गांवों में मिर्च की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। मिर्ची के भाव खूब अधिक रहते हैं जिससे किसान इसकी खेती के प्रति रुचि ले रहे हैं।
जगदीश प्रसाद यादव, किसान
Updated on:
09 Dec 2022 04:46 pm
Published on:
09 Dec 2022 04:44 pm
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