थानागाजी क्षेत्र के अंगारी गांव स्थित भैरू की डूंगरी को काटकर समतल कर दिया, लेकिन पहाड़ी का मूल स्वरूप बदलने के दोषी किसी भी व्यक्ति पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। स्थानीय प्रशासन प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट जिला प्रशासन को नहीं भिजवा पाया है। जबकि पहाड़ी काटने का कार्य एक महीने से भी ज्यादा समय तक निरंतर चला और गांव ही नहीं थानागाजी क्षेत्र के ज्यादातर लोगों की चर्चा में पहाड़ी को समतल करने का मामला रहा, फिर भी स्थानीय प्रशासन अब तक पहाड़ी को काटने के दोषी लोगों को चिह्नित ही नहीं कर पाया है। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने के बाद भी दोषी लोग फिर से पहाडिय़ों का स्वरूप बदलने की चुनौती देने से बाज नहीं आ रहे।
alwar illigal mining news नीमराणा में शनिदेव मंदिर की पहाड़ी हुई छलनी नीमराणा कस्बे के नजदीक गांव ढोढाकरी में शनि देव मंदिर के पास की पहाड़ी अवैध खनन के चलते पूरी तरह छलनी हो गई, लेकिन जिम्मेदार विभागों की नजर इस पहाड़ी के बदले स्वरूप पर नहीं गई। जबकि यह पहाड़ी शाहजहांपुर पुलिस थाने से महज 2 किलोमीटर व टोल टेक्स से मात्र पांच सौ मीटर की दूरी पर है। यहां लंबे समय से अवैध खनन के चलते न केवल पहाड़ी छलनी हुई, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के पहाड़, राडा, नदी, नाले, तालाब, पोखर, बांध एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों का 1954 का स्वरूप नहीं बदलने के आदेश का भी खुला उल्लंघन हुआ। इसके बाद भी सरकारी रेकॉर्ड में सब कुछ दुरुस्त हैं। जबकि खनन, पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी पहाड़ी के स्वरूप को बरकरार रखने तक सीमित नहीं थी, बल्कि अवैध गतिविधि संचालित कर पहाड़ी के स्वरूप बदलने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की थी। खनन माफियाओं ने यहां इस कदर पहाड़ी को जमींदोज किया कि जमीन के नीचे तक गहरे गडढे बना दिए। यह कार्य भी सरकारी अवकाशों में ज्यादा हुआ। यह स्थिति तो तब है जब ढोढाकरी गांव की आबादी के समीप पहाड़ी पर खनन माफिया पहाड़ से पत्थर निकालने के लिए खुलेआम ब्लास्ट करते हैं। खनन से छलनी हुए पहाड़ के निशां नेशनल हाइवे नंबर 8 से साफ दिखाई पड़ते हैं।
अवैध खनन बंद होने का यह कैसा दावा सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछले दिनों अरावली पर्वतमाला में अवैध खनन के चलते पहाड़ों के गायब होने को लेकर तीखी टिप्पणी की गई थी। इसके बाद प्रशासन ने अरावली पर्वतमाला के 115.34 हेक्टयर क्षेत्रफल में खनन नहीं होने का दावा किया था। लेकिन दिन व रात में पत्थरों से भरे ट्रक व ट्रैक्टरों की आवाजाही इस दावे को झुठलाती दिखती है।