नगर परिषद के विभिन्न स्रोतों से पैसा जुटा नहीं रहे और बजट कम कर रहे हैं। यही नहीं परिषद के जमा पैसे पर मिलने वाली ब्याज राशि का कोई हिसाब नहीं रखा गया। इन दोनों सवालों पर सभापति खुद की बजाय अधिकारियों से कहने लगे कि जवाब दें। अधिकारियों को भी पहली बार में सवाल ही समझ नहीं आए। आखिर में इनकी बजाय दूसरे बिन्दुओं पर चर्चा होने लग गई। जबकि हकीकत भी यही है कि नगर परिषद के पार्षद, सभापति व अधिकारियों को भी इतना ही मालूम है कि आगामी साल का 69.95 करोड़ रुपए का बजट है। ओपनिंग बैलेंस 29 करोड़ रुपए है। इससे अधिक किसी को नहीं पता कि पिछली बार के राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य कितने पूरे हो सके। बैठक में शहर विधायक संजय शर्मा भी मौजूद थे। वो नगर परिषद की बैठक में पहली बार शामिल हुए। बैठक में उपसभापति शशि तिवाड़ी भी मौजूद थी।
जनता के मतलब का खर्च 14.15 करोड़ शहर की सरकार नगर परिषद का बजट तो समझ से परे हैं। लेकिन राजस्व व्यय विवरण के अनुसार कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर 23.52 करोड़ रुपए खर्च हो जाएंगे। प्रशासनिक व्यय 2.33 करोड़ रुपए आएगा। परिचलान एवं संधारण में मुख्य रूप से रोडलाइट पर 1.75 करोड़, पानी बिल पर 50 हजार, किराया 25 हजार, प्रकाश व्यवस्था रखरखाव पर 1.50 करोड़, सडक़ नाली एवं पटाव मरम्मत पर 2.50 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। बाग नर्स व उद्यान रखरखाव पर 3 लाख, सार्वजनिक शौचालय सफाई पर 42 लाख, सीवर कनेक्शन पर 1 करोड़ रुपए सहित कुल करीब 14.15 करोड़ रुपया जनता के मतलब के कामों पर खर्च होगा।