अलवर नगर परिषद खुद पूरे शहर को सिखाता है, लेकिन नगर परिषद को ततारपुर ग्राम कमेटी से सीख लेने की जरुरत है।
शहर पर कार्रवाई करने वाला नगर परिषद खुद बदरंग, इससे तो ग्राम पंचायत बेहतर
अलवर. अलवर नगर परिषद एक ओर पूरे शहर को नसीहत देने के साथ कार्रवाई करता है, लेकिन इसे खुद ततारपुर ग्राम कमेटी से सीख लेने की जरुरत है। ये दो फोटो जिला मुख्यालय अलवर की नगर परिषद व एक ग्राम पंचायत की कार्यशैली को बताने के लिए काफी हैं। पूरे शहर को बदरंग होने से बचाने की जिम्मेदारी नगर परिषद की है लेकिन उसके मुख्य गेट पर ही पोस्टर चिपके हैं। दूसरी ततारपुर गांव के साफ-सुथरे बस स्टैण्ड की है जहां एक भी पोस्टर या पम्पलेट नहीं है। यहां यह संदेश भी लिखा है कि किसी तरह का पोस्टर लगाया गया तो 1100 रुपए का जुर्माना लगेगा। गांव की कमेटी के निर्णय की ग्रामीण भी पालना कर रहे हैं।
खुद परिषद का हाल, शहर बदहाल सम्पति विरुपण अधिनियम के तहत नगर परिषद की ओर से सार्वजनिक जगहों पर पोस्टर लगाने पर आवश्यक कार्रवाई की जाती है। जुर्माने के अलावा मुकदमें भी दर्ज किए जाते हैं। इसके बावजूद अलवर शहर बदहाल है। जिसकी बानगी कहीं और नहीं खुद नगर परिषद कार्यालय ही देख लिजिए। मुख्य गेट के दोनों तरफ कई पोस्टर चिपके पड़े हैं।
नगर परिषद में हर दिन सभापति, उप सभापति व पार्षद सहित अन्य जनप्रतिनिधि आते हैं। जिला मुख्यालय के आला अधिकारी भी यहां से नियमित रूप से निकलते हैं। नगर परिषद के आयुक्त व अन्य अधिकारी तो रोजाना दफ्तर पहुंचते हैं। इसके बावजूद भी किसी को परवाह ही नहीं है। जब नगर परिषद का यह हाल है तो पूरे शहर की कल्पना की जा सकती है। जगह-जगह शहर पोस्टर व पम्पलेटों से दबा पड़ा है। सावर्जनिक स्थलों की गरिमा का कतई ख्याल नहीं है। कम से कम ततारपुर ग्राम पंचायत से नगर परिषद अलवर को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
तुरंत हटवाएंगे सम्पति विरुपण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। कई बार मुकदमें भी दर्ज किए हैं। पोस्टर परिषद कार्यालय से तुरंत हटवाए जाएंगे। संजय शर्मा, आयुक्त, नगर परिषद अलवर।