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Alwar News: सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट घोषित करने की तैयारी, जानें क्या है रामसर साइट

केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जिम्बाब्वे में आयोजित रामसर कॉप-15 में अलवर की प्रतिष्ठित सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट घोषित किए जाने का प्रस्ताव रखा है।

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सिलीसेढ़ झील (फोटो -पत्रिका)

केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जिम्बाब्वे में आयोजित रामसर कॉप-15 में अलवर की प्रतिष्ठित सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट घोषित किए जाने का प्रस्ताव रखा है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने वेटलैंड कन्वेंशन की महासचिव डॉ. मुसोंड़ा मुंम्बा से मुलाकात में यह विषय रखा।

उन्होंने डॉ. मुंबा के समक्ष सिलीसेढ़ झील के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को भी साझा किया। भारत ने वेटलैंड कन्वेंशन के समक्ष अरुणाचल प्रदेश के ग्लो लेक, बिहार के गोगाबिल लेक, गुजरात के छारी ढांड वेटलैंड रिज़र्व और गोसाबरा वेटलैंड को भी रामसर स्थलों की सूची में सम्मिलित करने का प्रस्ताव रखा है।

रामसर स्थल के रूप में नामित होने से किसी आर्द्रभूमि (वेटलैंड) को अंतरराष्ट्रीय मान्यता, संरक्षण प्रयासों में वृद्धि, सतत विकास व अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अवसर मिलते हैं। मालूम हो कि पिछले एक दशक में भारत में रामसर स्थलों की संख्या 250 फीसदी बढ़ी है। 91 रामसर स्थलों के साथ भारत में अब एशिया में सबसे अधिक रामसर साइटें हैं।

क्या है रामसर साइट

एक ऐसी झील, जहां देश-दुनिया से पक्षी आते हैं और प्रजनन करते हैं। वहां भूमि नमीयुक्त होती है, जहां पक्षी अंडे देते हैं। चारागाह क्षेत्र भी इसमें शामिल होता है। साथ ही जलीय जीवों की संख्या व उनके संरक्षण के लिए भी विशेष कार्य होते हैं। सिलीसेढ़ में भी साइबेरिया, अफगानिस्तान, मंगोलिया से लेकर कई देशों से पक्षी आते हैं और निवास बनाते हैं। सिलीसेढ़ झील पर 150 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां देश-दुनिया से आती हैं। मछलियां भी सर्वाधिक हैं। यह झील रामसर साइट के सभी पैरामीटर पूरे करती है।