प्रदेश में आगामी जनवरी-फरवरी में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव प्रस्तावित हैं। वार्डों का परिसीमन एवं पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण का निर्धारण के बाद किसी भी समय पंचायत चुनाव की घोषणा संभव है। राज्य निर्वाचन विभाग भी इस सम्बन्ध में गाइड लाइन जारी कर चुका है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी माहौल अभी पूरी तरह रंगत पर नहीं आ सका है।
दावेदारों को आरक्षण की लॉटरी का इंतजार पंचायती राज संस्थाओं में अभी वार्डों का नए सिरे से परिसीमन होना है। वहीं ग्राम पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद के लिए लॉटरी निकाल आरक्षण निर्धारित किया जाना है। लॉटरी में सीटों का आरक्षण तय होने के बाद ही ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी तानाबाना बुना जाना संभव हो पाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी कयासबाजी का दौर लॉटरी के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों में अभी सीट व वार्डों के आरक्षण को लेकर कयासबाजी लगाई जा रही है। कुछ लोग सीटों और वार्डों के पुराने आरक्षण के आधार पर इस बार लॉटरी में सीट पर आरक्षण का अनुमान लगा प्रारंभिक चुनावी तैयारी में जुट भी गए हैं। ऐसे दावेदार लोगों से सम्पर्क कर चुनाव लडऩे की इच्छा तो उजागर कर रहे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय लॉटरी पर छोड़े हुए हैं।
जिला प्रमुख, प्रधान व सरपंच के लिए आकर्षण ज्यादा पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में ग्राम पंचायत के पंच से लेकर जिला परिषद सदस्य तक चुनाव होने हैं, लेकिन राजनीतिक व ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा आकर्षण जिला प्रमुख, प्रधान व ग्राम पंचायतों के सरपंच पद को लेकर है। इन चुनाव में पंचायत समिति सदस्य, प्रधान, जिला परिषद सदस्य व जिला प्रमुख का चुनाव राजनीतिक दल अपने सिम्बल पर लड़ते रहे हैं।
चुनाव आयोग की गाइड लाइन राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी गाइड लाइन के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में जिला परिषद सदस्य के लिए डेढ़ लाख, पंचायत समिति सदस्य के लिए 75 हजार व सरपंच पद के चुनाव में प्रत्याशी 50 हजार रुपए तक खर्च कर सकेंगे। पंचायत चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों को चुनाव परिणाम घोषित होने के 15 दिवस के अंदर जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत कलक्टर) या उनकी ओर से निमित्त प्राधिकृत अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।