संगीन अपराध का खुलासा करते हुए भिवाड़ी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नाजिम अली ने बताया कि तिजारा थाना इलाके के गांव बालोज के पहाड़ पर एक बालक का शव मिला था, जो जला हुआ भी था। इस पर थाने में 22 दिसम्बर, 17 को अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज हुआ था। मृतक बालक की शिनाख्त नहीं होने के कारण पुलिस ने शव को दफना दिया था। इस कारण प्रकरण लम्बित था। बाद में मामले की जांच भिवाड़ी के एएसपी को सौंपी गई। उन्होंने बताया कि मृतक बालक की गुमशुदगी कामां थाने में दर्ज हुई थी। काफी दिनों बाद यह पता चलने पर कि तिजारा थाना इलाके में किसी बालक का शव मिला है तो उसके परिजन तिजारा थाने पहुंचे। उन्होंने बालक की चप्पल व कपड़ों से शिनाख्त की। इसकी पुष्टि के लिए पुलिस ने उसका डीएनए टेस्ट कराया, जो पहली बार में फेल हो गया, लेकिन दूसरी बार कराए डीएनए में शिनाख्त की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया कि मामले में अलवर के पुलिस अधीक्षक डॉ. राजीव पचार से चर्चा कर नए सिरे से अनुसंधान शुरू किया गया तो मामले की परतें खुलती चली गई और पुलिस के हाथ आरोपी की गिरेबां तक पहुंच गए।
यह था मामला आरोपी जमशेद उर्फ गुबरी 22 दिसम्बर, 17 को शाम करीब 3-4 बजे बालक को बहला-फुसलाकर बाइक चोरी कर बाइक बेचकर आधे रुपए देने का लालच देकर तिजारा थाना इलाके के गांव बालोज के पहाड़ पर लाया और उसके साथ जबरन कुकर्म किया। इसके बाद गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और पहचान छिपाने के लिए बालक के पैरों के ऊपरी भाग पर कम्बल डालकर आग लगा दी। पहाड़ पर शव मिलने के मामले में तिजारा थाने में पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 और 201 में मामला दर्ज किया था।
रंजिश का बदला लेने के लिए की बालक की हत्या एएसपी अली ने बताया कि एक बार बालक के पिता व अन्य परिजनों ने आरोपी की किसी बात को लेकर पिटाई कर दी। इसी कारण आरोपी उनसे रंजिश रखने लगा। आरोपी ने बालक के पिता से बदला लेने के लिए बालक की हत्या को अंजाम दिया।
अपराध की प्रवृति समान होने से आया पकड़ में एएसपी अली ने बताया कि इस जुर्म के बाद आरोपी ने पिछले साल भरतपुर जिले के कामां इलाके में ही एक महिला के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी। बाद मेंशव को एक बोरी में डाला और बोरी में पत्थर भी डाल दिए। इसके बाद बोरी को तलाब में फेंक दिया ताकि शव तेरकर ऊपर नहीं आ सके। इस मामले का खुलासा होने के बाद आरोपी पकड़ा गया और इन दिनों डीग जेल में बंद था। अनुसंधान के दौरान जब पुलिस को इस घटनाक्रम का पता चला तो पुलिस ने अपनी जांच इस पर केन्द्रित कर दी और फिर कड़ी से कड़ी जुड़ती गई और पुलिस आरोपी तक पहुंच गई। इस तरह अपराध की प्रवृति समान होने के कारण पुलिस को आरोपी तक पहुंचने में मदद मिली।