सरिस्का बाघ परियोजना में करीब 28 गांव हैं और इन गांवों की जनसंख्या करीब 15 हजार है। यानि हजारों की संख्या में लोगों की आवाजाही पार्क रहती है, जिससे बाघ सहित अन्य वन्यजीवों पर संकट बना रहता है। इतना ही नहीं सरिस्का में प्रतिवर्ष 6-7 लाख लोग एवं पर्यटकों की मौजूदगी भी रही है। ऐसे में पार्क में मानवीय दखल इतनी बढ़ गई है कि यहां बाघ, पैंथर व अन्य वन्यजीवों का सुरक्षा बड़ी समस्या बन चुकी है। यही कारण है कि स्टेट एम्पावर्ड कमेटी भी यहां बाघों की मौत का बड़ा कारण मानवीय दखल को मान चुकी है।
alwar sariska tiger news छह गांवों का विस्थापन जरूरी, हो पाया तीन का सरिस्का में बसे 9 गांवों का प्राथमिकता से विस्थापन किया जाना है। इनमें से अब तक तीन गांव उमरी, भगानी व रोटक्याला का पूरी तरह विस्थापन हो चुका है। वहीं कांकवाड़ी गांव का विस्थापन प्रक्रियाधीन है। अभी इन 6 गांवों के करीब 309 परिवारों का विस्थापन होना शेष है। इनमें कांकवाड़ी के 8 परिवारों की सहमति शामिल है।
alwar sariska tiger news बाघों के सफाए का कारण बन चुकी मानवीय दखल
स्टेट एम्पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2004 में सरिस्का में 16 बाघ चिह्नित हुए थे, लेकिन वर्ष 2005 में सरिस्का को सरकार ने बाघ विहिन घोषित कर दिया। यानि सरिस्का में वर्ष 2005 से पहले बाघों का पूरी तरह सफाया हो गया। उस दौरान भी बाघों के शिकार व मौत का कारण मानवीय दखल ही ज्यादा रही। वहीं 2008 से अब तक सरिस्का में बाघों की मौत के मामलों में मानवीय दखल बड़ा कारण रही है। इनमें भी मानवीय दखल का कारण सरिस्का में बसे गांव हैं।
सरकार भी हिचकती है बाघ भेजने में रणथंभौर में बाघों की संख्या बढऩे के कारण सरिस्का में दो युवा नर बाघ भेजने की तैयारी है, लेकिन सरकार भी सरिस्का में मानवीय दखल को लेकर चितिंत रही है। यही कारण सरिस्का में बाघ शिफ्टिंग के दौरान विभिन्न स्तरों पर मानवीय दखल की बात उठती रही है।