जैन धर्म में पर्वराज कहा जाता है इस महिने में व्रत व उपवास अधिक होने के कारण इसे जैन धर्म में पर्वराज भी कहा जाता है। इसमें ही सोलह कारण व्रत आते हैं । इन दिनों में जैन धर्मावलंबी एकासन 32 दिवस के तथा16 दिवस के उपवास रखते हैं। इसके अतिरिक्त भाद्रपद शुक्ला पंचमी से चर्तुदशी यानि माह के अंतिम 10 दिनों में दशलक्षण महापर्व मनाया जाता है। इसमें उत्तम क्षमा, मार्दव, आजर्व, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, अंकिचन व ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है। मूल रूप से ये दशलक्षण धर्म के 10 लक्षण है जिनका जीवन में अमल करने पर सच्चे धर्म की प्राप्ति होती है। सामान्य श्रावक जो इन दिनों उपवास नहीं कर सकते हैं वे जमीकंद का त्याग करते हैं और रात्रि भोजन का त्याग कर अपनी आत्मशुद्धि का प्रयास करते हैं। यह महिना आत्म शुद्धि व धर्मधारण कर सोलहकारज भावनाओं का चिंतन कर आत्मा से परमात्मा बनने का सुअवसर कहा जाता है।
जैन मंदिरों में होंंगे विधान दिगंबर जैन पूजन संस्थान के अध्यक्ष नरेंद्र जैन ने बताया कि इस महीने आने वाले दसलक्षण पर्व पर सभी जैन मंदिरों में विशेष पूजन, विधान आदि के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मंदिरों में सजावट की जाती है। उन्होंने बताया कि इस बार दसलक्षण पर्व के तहत उपाध्याय अभिनंदन सागर के सानिध्य में दिगंबर जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर बलजी राठौड की गली में अहिच्चक्र विधान का आयोजन किया जाएगा जो प्रतिष्ठाचार्य इंदौर केनितिन भैया के सानिध्य में होगा। स्कीम नंबर दस स्थित पाŸवनाथ चौबीसी जैन मंदिर में दसलक्षण महामंडल विधान भोपाल के बाल ब्रह्मचारी अविनाश भैया के सानिध्य में होगा। महावीर जिनालय काला कुआं अलवर में भी सांगानेर से आए विद्वानों के सानिध्य में दसलक्षण महामंडल विधान का आयोजन किया जाएगा।