2008 में भाजपा के टिकट पर बनवारी लाल सिंघल विधायक बने। उसके बाद अलवर में 2013 के चुनावों में बनवारी लाल ने 62 हजार 229 से जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को 22 गाजर 562 व भाजपा को 847921 वोट मिले। जबकि 2018 के उप चुनाव में कांग्रेस को 78 हजार 174 वोट व भाजपा को 52 हजार 717 वोट मिले थे। कांग्रेस 25 हजार 357 हजार से विजय रही थी।
बनवारी लाल सिंघल ने कहा कि जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा। मैं माला नहीं पहनूंगा। चाय उसके लिए मुझे जिंदगी भर बिना माला पहने रहना पड़े। उन्होंने कहा कि मैं शुरुआत से हिंदूवादी मुद्दों पर लड़ता रहा हूं व अपनी आवाज उठाता रहा हूं। यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। जिन लोगों ने हिंदुत्व की बात या मेरे बयानों को लेकर मेरा टिकट काटा है। मैं उनको धन्यवाद देता हूं और अगर हिंदुत्व पर बोलने के कारण मेरा टिकट काटा है तो मुझे मंजूर है। सिंघल ने कहा कि पार्टी ने मेरा टिकट क्यों काटा है। इसकी तो मुझे जानकारी नहीं है। लेकिन पार्टी ने जो सोचा होगा। वह बेहतर होगा। मैं और मेरा परिवार उसी ताकत से चुनाव में संजय शर्मा के साथ मेहनत करेंगे।
बनवारी लाल सिंघल का टिकट कटने का सबसे बड़ा कारण अलवर में लगातार बढ़ता उनके खिलाफ विरोध माना जा सकता है। उपचुनाव के दौरान कार्यक्रमों में उनका जमकर विरोध हुआ तो वहीं अलवर शहर की व्यवस्था कुछ ठीक नहीं चली। नगर परिषद सभापति सफाई के मुद्दे पर कुछ खास नहीं कर पाए। तो वहीं अलवर शहर में कुछ दिन पहले हुए सीवरेज व जलदाय विभाग की पाइप लाइन डालने के दौरान हुए कार्य में बड़ी लापरवाही बरती गई थी। उससे जनता को खासी परेशानी हुई। जनता के इस रुख को देखते हुए आलाकमान ने विधायक का टिकट काटा है। वहीं सिंघल एक समुदाय विशेष के खिलाफ भी लगातार बयानबाजी करते आए हैं। यह भी उनके टिकट कटने की एक प्रमुख वजह हो सकती है।