
सरिस्का टाइगर रिजर्व। फोटो: पत्रिका
अलवर। सरिस्का की बाघ संरक्षण योजना-2034 पर फिलहाल रोक लग गई है। इस प्लान से पहले सरिस्का अभयारण्य के क्षेत्र का पुनर्निधारण होगा। इसके साथ क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) के एरिया की मैपिंग भी की जाएगी। ऐसे में बाघों के घर तय होने व सुरक्षा दीवार तैयार होने के बाद ही बाघ संरक्षण प्लान बनेगा।
सरिस्का बाघ अभयारण्य में बाघों का संरक्षण प्लान वर्ष 2014 में तैयार किया गया था, जो 10 साल के लिए बना था। यह प्लान इतना कारगर हुआ कि इन 10 वर्षों में 44 बाघ बढ़े। ऐसे में यह प्लान एक नजीर तक के तौर पर देखा गया।
इससे पूर्व बाघ संरक्षण प्लान 2014 तक का बना था, लेकिन उस अवधि में वर्ष 2007 तक बाघों का सफाया हो गया था। वर्ष 2008 में एसटी 1, 2 रणथंभौर बाघ अभयारण्य से लाए गए, उसके बाद वर्ष 2014 तक 6 बाघ बढ़े।
वर्ष 2024 में बाघ संरक्षण प्लान की मियाद पूरी हो गई। उसी वर्ष में यह प्लान बनाने का जिम्मा एक्सपर्ट फर्म को दिया गया। इस पर काम शुरू ही किया गया था कि इसी बीच सीटीएच का पुनर्निधारण शुरू हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही दिन पहले सेंचुरी के पुनर्निधारण के भी आदेश सरकार को दे दिए। ऐसे में अब सरकार सेंचुरी पुनर्निधारण पर काम करेगी। सरिस्का ने एक साल पहले लक्ष्य रखा था कि बाघों का कुनबा अगले 10 साल में बढ़कर 100 तक पहुंचे। उस अनुसार तैयारियां चल रही थी, लेकिन अब सेंचुरी निर्धारण के बाद काम होगा।
-बाघिन एसटी-2 ने साल 2012 में दो मादा शावकों को जन्म दिया। इनका नाम एसटी-7 व एसटी-8 रखा गया। इसके बाद एसटी-2 ने साल 2014 में एसटी-13 बाघ और एसटी-14 बाघिन को जन्म दिया। हालांकि जनवरी 2022 में एसटी-13 लापता हो गया।
-एसटी-2 की बेटी एसटी-14 ने 2018 में एसटी-17 बाघिन व एसटी-18 बाघ शावक को जन्म दिया। एसटी-14 ने साल 2020 में 3 शावक जन्मे। एसटी-26, एसटी-27 व 28 को जन्म दिया। एसटी-14 ने साल 2022 में दो शावक जन्मे। एसटी-17 ने साल 2022 में एसटी-2304 और 2305 को जन्म दिया।
-एसटी-19 ने वर्ष 2023 में 3 शावक, एसटी-12 ने मार्च 2024 में 4 शावकों को जन्म दिया। एसटी-22 ने मई 2024 में 4 शावकों को जन्म दिया। एसटी-17 ने जून 2024 में तीन शावक जन्मे। एसटी-27 ने मई 2024 में दो शावकों को जन्म दिया।
सरिस्का का बाघ संरक्षण प्लान अब सेंचुरी पुनर्निधारण के बाद तैयार होगा, फिलहाल उस पर रोक लगा दी गई है। क्योंकि मैपिंग व अन्य काम नए सिरे से होना है।
-संग्राम सिंह कटियार, क्षेत्र निदेशक, सरिस्का
Published on:
05 Oct 2025 09:40 am
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