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दशकों से विकास की बाट जोह रहा जिले का सिंहद्वार नौगांवा

locationअलवरPublished: Apr 23, 2019 11:40:44 am

Submitted by:

Hiren Joshi

जिले का सिंहद्वार और मेवात अंचल का मुख्य कस्बा नौगांवा गंगा-जमुनी संस्कृति के लिए प्रदेश में अपनी पहचान बनाए हुए है । नौगांवा की स्थापना को लेकर अलवर गजट में उल्लेख है कि सिपहसलार नवरंग शाह ने इसे बसाया था। यह कहा जाता है कि ९ बार उजडऩे और बसने के कारण इसका नाम नवगांव पड़ा, जिसके बाद में प्रचलन में इसे नौगांवा कहा जाने लगा।

development was going on in the district of Singhdwar

दशकों से विकास की बाट जोह रहा जिले का सिंहद्वार नौगांवा

जिले का सिंहद्वार और मेवात अंचल का मुख्य कस्बा नौगांवा गंगा-जमुनी संस्कृति के लिए प्रदेश में अपनी पहचान बनाए हुए है । नौगांवा की स्थापना को लेकर अलवर गजट में उल्लेख है कि सिपहसलार नवरंग शाह ने इसे बसाया था।
यह कहा जाता है कि ९ बार उजडऩे और बसने के कारण इसका नाम नवगांव पड़ा, जिसके बाद में प्रचलन में इसे नौगांवा कहा जाने लगा। कई लोगों का मानना है कि कस्बे में पहले नील बनाने का कार्य होता था और नील बनाने की भट्टियां थी जिसके कारण इसे भट्टिका नौगांवा भी कहा जाता है ।
लगभग 15 हजार की आबादी वाले इस कस्बे में सभी जाति के लोग निवास करते है। भव्य हैं यहां के जैन मंदिर-कस्बें में स्थित दो भव्य जैन मंदिर भी कस्बे की पहचान बनाए हुए हैं । एक मंदिर भगवान शांतिनाथ का है जो कस्बे के बस स्टैंड पर स्थित है।
दूसरा प्राचीन मल्लिनाथ दिगंबर जैन मंदिर और प्राचीन शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में कांच की नक्काशी उसकी प्राचीनता को दर्शाते हैं । कस्बे के पूर्व दिशा में स्थित मेवात के महान संत एवं साम्प्रदायिक सदभाव के प्रतीक संत लालदास का मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है और दूर दराज इलाके के भक्त बाबा के दर्शनों को यहां आते है और मन्नत मांगते हैं।
सरकारी विद्यालय में विज्ञान संकाय तक नहीं-कस्बे में डेढ दर्जन से ज्यादा निजी और सरकारी शिक्षण संस्थान है, लेकिन सरकारी विद्यालय में विज्ञान और वाणिज्य संकाय न होना यहां का बड़ा मुददा है। विज्ञान संकाय नहीं होने के कारण बच्चों को या तो निजी विद्यालयों में मोटी फीस चुकानी पड़ती है या दूर दराज पढऩे के लिए जाना पड़ता है। सरकारी विद्यालय परिसर में चलने वाले तीन राजकीय विद्यालयों की छात्र संख्या करीब 1500 है, जिन्हे इस परेशानी से जूझना पड़ रहा है। कृषि महाविद्यालय खुला, लेकिन सुविधाओं का टोटा-कस्बे के अलवर रोड पर स्थित कृषि अनुसंधान केन्द्र को लोगों की ओर से कृषि महाविद्यालय बनाने की पुरजोर मांग के बाद गत उपचुनावों में कृषि महाविद्यालय का दर्जा मिला, लेकिन उस महाविद्यालय के पास न तो खुद का भवन है, न खेल का मैदान, न लैब, और न ही छात्रावास । ऐसे में यहां अध्यनरत छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड रहा है ।
हाइवे का चौड़ा होना, लगने लगा सपना-

एनसीआर क्षेत्र का हिस्सा एवं अलवर से दिल्ली को जोडऩे वाले राजमार्ग पर स्थित कस्बे से निकलने वाला सडक मार्ग पहले नेशनल हाईवे 8 का हिस्सा था, लेकिन राजनीतिक दांव पेचों के चलते उस मार्ग को बदल दिया गया और नौगांवा को खाली हाथ ही सब्र करना पडा। बाद में इसे स्टेट हाइवे 248 ए नाम दिया गया।
इस पर बढ़ते परिवहन के दवाब के कारण जाम कस्बे की एक आम समस्या बन कर रह गई है। हर 5 साल में इस रोड के चौड़े होने के दावे किए जाते हैं लेकिन इसका चौड़ा होना लोगों के लिए एक सपना सा हो गया है।
रेल की सीटी का इन्तजार-

कस्बा नौगांवा से जुड़ा मेवात क्षेत्र कई दशकों से रेल की सीटी को सुनने का इन्तजार कर रहा है। लोगों का मानना है कि जल्द से जल्द रेल यातायात की शुरूआत की जाए।
कृषि मंडी खुले तो किसानों को मिले फसल का उचित दाम-

नौगांवा सहित आस-पास क्षेत्र के दर्जनों गांवों की मांग रही है कि नौगांवा में कृषि उपज मंडी खुले, जिससे किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिल सके। कृषि मण्डी के अभाव में लोगों को अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल पाता और कई बार उन्हें अपनी फसल को बेचने के लिए अलवर या हरियाणा जाना पड़ता है, जिससे उन्हें नुकसान होता है। सीएचसी का दर्जा, स्टॉफ पीएचसी से भी कम-
गत उपचुनावों में आनन फानन में सरकार द्वारा नौगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सीएचसी का दर्जा तो दे दिया लेकिन चिकित्सा सुविधा के नाम पर यहां पीएचसी से भी कम स्टाफ एवं सुविधाएं हैं। केवल एक चिकित्सक और गिने-चुने स्टॉफ के भरोसे ये स्वास्थ्य केन्द्र चल रहा है ।
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