
Alwar News: अलवर। सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ रहा है। शावक भी बड़े हो रहे हैं। उन्हें टेरेटरी बनाने के लिए जगह चाहिए, लेकिन इसकी व्यवस्था नहीं हो पा रही है। यह तभी हो सकेगी जब गांवों को विस्थापित कर दिया जाएगा।
इसके लिए 690 हेक्टेयर जमीन राजस्व विभाग को वन विभाग के नाम करनी है, जो अब तक नहीं हो पाई। इसी कारण सरिस्का प्रशासन के कदम रुक गए। इसमें देरी हुई तो जंगल से और ज्यादा टाइगर टेरेटरी की तलाश में बाहर निकल सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरिस्का के 26 गांवों को बाहर विस्थापित करने का प्लान तैयार किया गया, जिसमें पहले चरण में 11 को बसाना था। 5 गांव विस्थापित कर दिए गए, लेकिन 6 को जगह नहीं मिल पा रही है। इन गांवों में नाथूसर, हरिपुरा, सुकोला, कांकवाड़ी, देवरी और क्रासका शामिल हैं। इन 6 गांवों की जमीन करीब 450 वर्ग किमी में है, जो खाली होने पर टाइगरों की टेरेटरी बनाने के लिए ठीक होगी।
बताया जा रहा है कि यह खाली होने वाला एरिया 45 टाइगरों के लिए पर्याप्त होगा। इसे देखते हुए गांवों को दूसरी जगह जमीन देनी थी, जो वन विभाग के नाम हो। इसके लिए प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे मंजूरी अब तक नहीं मिली।
नाथूसर गांव के 245 में से 110 लोगों को ही विस्थापित किया गया है। बाकी लोगों को अभी नहीं भेजा गया। हालांकि यह प्रक्रिया अभी चल रही है। कुछ परिवारों ने जमीन की मांग दूसरी जगह की थी। इस पर भी मंथन चल रहा है। रूंध गिदावड़ा में विस्थापित हुए परिवारों को सरिस्का प्रशासन जमीन का अधिकार पत्र देने जा रहा है।
कुछ गांवों के पुनर्वास के लिए जमीन देने का प्रस्ताव राजस्व विभाग के पास गया हुआ है। वहां से मंजूरी के बाद ही अन्य गांवों का भी पुनर्वास होगा।
-संग्राम सिंह कटियार, क्षेत्र निदेशक सरिस्का।
Published on:
09 Feb 2025 11:55 am
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