काफी दिन बाद तिजारा में जमीन तय हो पाई, जबकि रामगढ़ के बर्डोद में जमीन नहीं मिलने पर पूर्व मे प्रदेश सरकार के मेडिकल कॉलेज के लिए ढाढ़ोली में आवंटित भूमि में से जिला प्रशासन ने कुछ जमीन नर्सिंग कॉलेज के लिए आवंटित कर दी। क्योंकि यहां भारतीय मेडिकल काउंसिल के नियमों के कारण सरकार ने मेडिकल कॉलेज को निरिस्त कर दिया। लेकिन फिर दोनों ही स्थानों पर बिजली लाइन को शिफ्ट करने का पेंच आ गया। बाद में डिस्कॉम में राशि जमा कर लाइन शिफ्ट कराई गई। सरकारी विभागों से ही जमीन और लाइन की शिफ्टिंग के कार्य में चार साल बीत गए। फिर दिसंबर 2017 में दोनों स्थानों पर भवन निर्माण कार्य शुरु कराया गया। अब दो मंजिल के भवन का ढांचा तो खड़ा किया गया है, लेकिन फिनिशिंग और टाइल का कार्य चल रहा है। इसके अक्टूबर तक पूरा होने की उम्मीद है।
आठ करोड़ की राशि स्वीकृत, पांच करोड़ से अधिक खर्च बीएससी नर्सिंग कॉलेज के निर्माण के लिए 4-4 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया, लेकिन दोनों कॉलेजों के भवन निर्माण पर पांच करोड़ से अधिक राशि खर्च हो चुकी है। भवनों के निर्माण के बाद हैंडओवर भी अटकने की आशंका है। इस साल संचालन शुरु नहीं होने के कारण सरकार इसे नहीं लेगी, क्योंकि भवनों को लेने के बाद सरकार की देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी।
प पद स्वीकृत हुए और न ही सामान की खरीद के बजट दोनों की सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में सरकार ने अभी प्रिंसीपल, वाइस प्रिंसीपल, ट्यूटर सहित अन्य पद स्वीकृत नहीं किए गए हैं। न ही यहां सामान खरीद क लिए बजट स्वीकृत किया है। हालांकि निर्माण के बाद भी 60-60 सीट वाले इन नर्सिंग कॉलेजों के इस साल शुरू होने की उम्मीद नहीं है। अब विधानसभा चुनाव के बाद आगामी सरकार के कार्यकाल में ही इनका संचालन होगा। क्योंकि अभी तो इन नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के बाद ही सरकार सीट आवंटित करेगी, जो अगले साल से ही संभव हो सकेगा।