
सुशील कुमार/ अलवर। हमारी शहर सरकार यानि नगर निगम एक बार फिर चर्चा में है। जिस कंपनी की जेसीबी गाजियाबाद नगर निगम ने 28.75 लाख में खरीदी, वही अलवर निगम ने 35.18 लाख रुपए में खरीदी है।
कंपनी को कितना भुगतान किया और कितना अफसरों की जेब में गया, यह जांच कराने पर सामने आएगा। उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद नगर निगम व अलवर नगर निगम ने एक ही कंपनी की बैकहो लोडर मशीन (जेसीबी) खरीदी हैं, लेकिन रेट में 7 लाख रुपए से ज्यादा का अंतर है। अलवर निगम ने दो जेसीबी का भुगतान 70.37 लाख रुपए किया है।
अलवर नगर निगम ने वर्ष 2024 में बोर्ड की बैठक का हवाला देते हुए डीएलबी से दो जेसीबी खरीद की अनुमति ली थी। उसके बाद एक नामचीन कंपनी से कोटेशन लेकर खरीद की तैयारी शुरू कर दी। गत 28 अप्रेल को कंपनी ने नगर निगम आयुक्त के नाम दरें भेजीं, जिसमें एक जेसीबी की कीमत 35.18 लाख मंजूर की गई। इस तरह दो जेसीबी की कीमत 70.37 लाख रुपए तय हुई और 30 अप्रेल को जेसीबी नगर निगम में आ गईं।
सूत्रों का कहना है कि निगम की लेखा शाखा के एक व्यक्ति को इस मामले में संदेह हुआ तो उन्होंने निगम आयुक्त के समक्ष मामला रखा और जांच की मांग की। आयुक्त ने परिवहन विभाग के अधिकारी को पत्र लिखा और तकनीकी दक्षता की भौतिक जांच के लिए कहा। आरटीओ सतीश कुमार ने यह जिमेदारी परिवहन निरीक्षक धर्म सिंह मीणा को दी। उन्होंने 10 जून को आरटीओ को लिखे पत्र में कहा कि तकनीकी दक्षता की भौतिक जांच के लिए कार्यालय में ऐसा कोई भी संसाधन या उपकरण नहीं, जिससे इन वाहनों की जांच की जा सके। बताते हैं कि यह मामला सार्वजनिक हुआ, तो नेताओं तक भी पहुंचा। इसके बाद जेसीबी काम के लिए बाहर नहीं निकाली गईं। यह अब अंबेडकर नगर के गैराज में धूल फांक रही हैं।
भाजपा के निवर्तमान पार्षद अजय पूनिया का कहना है कि जब से निगम से बोर्ड भंग हुआ है, तब से भ्रष्टाचार बढ़ गया है। वित्तीय अनियमितताएं हो रही हैं। हम यह मामला मंत्रियों के समक्ष रखेंगे ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके। साथ ही एसीबी में भी मामला जांच के लिए भेज रहे हैं। बोर्ड की बैठक में सिंगल फेज बोरिंग मंजूर हुए थे, वह आज तक निगम ने नहीं करवाए, लेकिन जेसीबी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई गई। कांग्रेस के निवर्तमान पार्षद रमन सैनी का कहना है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए।
नगर निगम गाजियाबाद ने 24 मार्च को उसी नामचीन कंपनी से ही जेसीबी जैम पोर्टल के जरिए खरीदी, जिसकी एक की कीमत 28.75 लाख रुपए है। यह जेसीबी कैंची के आकार में है, जिससे कचरा भी उठाया जा सकता है, लेकिन नगर निगम अलवर के पास सीधी व सपाट जेसीबी है। जानकारों का कहना है कि कैंची वाली जेसीबी महंगी आती है।
जेसीबी खरीद को अनुमति ली गई थी। नियमों के मुताबिक ही खरीदी गई हैं, फिर भी इसकी जांच करा ली जाएगी।
निगम की ओर से खरीदी गई जेसीबी व गाजियाबाद की जेसीबी का तुलनात्मक अध्ययन कर लिया जाए, तो सभी चीजें साफ हो जाएंगी। इसके लिए मैकेनिकल इंजीनियरों की जांच टीम बनाई जानी चाहिए। जांच में जो गड़बड़ी पकड़ी जाए, उस आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए।
Updated on:
23 Jun 2025 02:36 pm
Published on:
23 Jun 2025 02:35 pm
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